आदिवासी ग्रामों के लिए 20 लाख “परिवर्तनशील नेता” तैयार करने की पहल: आदि कर्मयोगी कार्यक्रम

जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा शुरू की गई “आदि कर्मयोगी” पहल देश के आदिवासी क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाने की एक अनोखी और महत्वाकांक्षी योजना है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है ग्राम स्तर तक 20 लाख “परिवर्तनशील नेताओं” की एक ऐसी कैडर तैयार करना, जो जनजातीय गांवों में सरकारी योजनाओं की प्रभावी पहुंच सुनिश्चित करने में सहायक बनें।

प्रशिक्षण की अभिनव कार्यशैली

इस कार्यक्रम के अंतर्गत एक विशेष प्रशिक्षण प्रक्रिया अपनाई जा रही है जिसमें पारंपरिक बैठकों या भाषणों की बजाय भागीदारी-आधारित गतिविधियों पर जोर दिया गया है। इसमें “मोमबत्ती जलाने”, “गाँठ बांधने”, “फिश बाउल”, “ह्यूमन नॉट” और “भूमिका-निर्धारण” जैसे अभ्यास शामिल हैं। इन सभी गतिविधियों का उद्देश्य प्रतिभागियों में आत्म-प्रेरणा, समस्या-समाधान की सोच, सहयोग और रचनात्मकता को बढ़ावा देना है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यह विचार इस अवधारणा पर आधारित है कि समाधान व्यक्ति के भीतर से आता है और समस्याओं पर रोना नहीं, बल्कि समाधान की दिशा में कार्य करना आवश्यक है।

तीन स्तरीय प्रशिक्षण तंत्र

सरकार इस कार्यक्रम के माध्यम से 240 राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर, 2,750 ज़िला स्तरीय ट्रेनर और 15,000 ब्लॉक स्तर के प्रशिक्षकों को तैयार कर रही है। ये प्रशिक्षक आगे चलकर 20 लाख गांव स्तरीय कर्मचारियों, स्वयंसेवकों और समुदाय नेताओं को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। फिलहाल, प्रशिक्षण सत्र राज्य और ज़िला स्तर पर आयोजित हो रहे हैं, जिसके बाद ब्लॉक और फिर गांव स्तर तक यह प्रक्रिया विस्तारित की जाएगी।
प्रत्येक गांव में 15 प्रतिभागियों को इन प्रशिक्षण सत्रों में शामिल किया जाएगा।

“विलेज विज़न” और सार्वजनिक भित्ति चित्र

इस पहल का एक और प्रमुख आयाम है — प्रत्येक लक्षित गांव (एक लाख गांवों का लक्ष्य) का “विलेज विज़न 2030” दस्तावेज तैयार करना। यह दस्तावेज गांववासियों द्वारा सामूहिक रूप से बनाया जाएगा और इसे सार्वजनिक भित्ति चित्र (म्यूरल) के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि राज्य प्रशासन इसे गांव की आकांक्षा के रूप में स्वीकार कर सके और उसी दिशा में काम करे।

आदि सेवा केंद्र: योजनाओं की एकमात्र खिड़की

इस कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार एक लाख “आदि सेवा केंद्र” भी स्थापित करेगी, जो जनजातीय निवासियों के लिए सभी कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच का एकमात्र केंद्र होंगे। इससे शत-प्रतिशत योजना लाभ कवरेज (saturation) सुनिश्चित किया जा सकेगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • “आदि कर्मयोगी” कार्यक्रम जनजातीय कार्य मंत्रालय की “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” के अंतर्गत चलाया जा रहा है।
  • लक्ष्य: 20 लाख गांव स्तरीय बदलावकर्ता तैयार करना।
  • प्रत्येक गांव के लिए “विलेज विज़न 2030” दस्तावेज बनाया जाएगा और भित्ति चित्र के रूप में दर्शाया जाएगा।
  • एक लाख “आदि सेवा केंद्र” स्थापित किए जाएंगे जो योजना लाभ के लिए एकल खिड़की प्रणाली के रूप में कार्य करेंगे।

नवाचार के ज़रिए परिवर्तन

प्रशिक्षण की इन गतिविधियों का उद्देश्य केवल सूचना देना नहीं, बल्कि मानसिकता में बदलाव लाना है। “कैंडल लाइटिंग” के माध्यम से अंधकार को कोसने की बजाय रोशनी लाने की प्रेरणा दी जाती है। “ह्यूमन नॉट” या “नॉट टाइंग” जैसी गतिविधियां आत्म-विश्लेषण, सहयोग और सामूहिक प्रयासों की महत्ता सिखाती हैं। इसके अलावा, “मुट्ट्रम” जैसी साझेदारी वाली जगहें बनाकर सहभागिता और खुले विचार-विनिमय को बढ़ावा दिया जाएगा।
इस प्रकार आदि कर्मयोगी पहल आदिवासी भारत में न केवल योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करने का माध्यम बनेगी, बल्कि समुदाय के भीतर से प्रेरित नेतृत्व तैयार कर भारत के जनजातीय समाज को आत्मनिर्भरता और विकास की नई दिशा देगी।

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