आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों के सह-स्थान की नई पहल: बच्चों के समग्र विकास की दिशा में एक सशक्त कदम

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों के सह-स्थान हेतु दिशा-निर्देशों का संयुक्त रूप से शुभारंभ किया गया। यह पहल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के विजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है। इसका उद्देश्य नन्हें बच्चों के समग्र विकास को सुनिश्चित करना है, जिसमें स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा का एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया गया है।
आंगनवाड़ी और स्कूलों के सह-स्थान की आवश्यकता
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) ने पहली बार प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) को शिक्षा की बुनियाद के रूप में मान्यता दी है। इसके अंतर्गत 3 से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण पूर्व-प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में आंगनवाड़ी केंद्रों का स्कूल परिसरों में सह-स्थान सुनिश्चित करने के लिए यह दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों की स्कूली तैयारी को सुदृढ़ करना, आंगनवाड़ी से प्राथमिक कक्षा 1 में सहज संक्रमण को संभव बनाना और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पोषण सेवाओं का समन्वय स्थापित करना है। इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी, बल्कि उनकी प्रारंभिक सीखने की नींव भी मजबूत होगी।
सह-स्थान के प्रमुख घटक और लाभ
दिशा-निर्देशों में निम्नलिखित प्रमुख पहलुओं पर बल दिया गया है:
- एकीकृत ECCE दृष्टिकोण: आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों के बीच सामंजस्य स्थापित कर बच्चों को एक सुगठित शैक्षिक यात्रा प्रदान करना।
- नक्शांकन और स्थान निर्धारण: आसपास के स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों का मिलान कर सह-स्थान की योजना बनाना।
- बाल-अनुकूल शैक्षिक वातावरण: रंग-बिरंगे, रोचक और संवादात्मक शिक्षण सामग्री के उपयोग से बच्चों के लिए प्रेरणादायक परिवेश बनाना।
- समुदाय और अभिभावकों की भागीदारी: बच्चों की शिक्षा में सामुदायिक सहयोग और अभिभावकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- तकनीक और नवाचार का समावेश: जैसे-जैसे तकनीक सुलभ होती जा रही है, AI और डिजिटल सामग्री (जैसे जादुई पिटारा, आधारशिला, ई-जादुई पिटारा) के उपयोग से शिक्षण को अधिक प्रभावी और सुलभ बनाना।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में 5+3+3+4 संरचना के तहत तीन वर्ष की पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को औपचारिक रूप से शिक्षा प्रणाली में शामिल किया गया है।
- निपुण भारत मिशन का उद्देश्य 2026-27 तक कक्षा 3 तक सभी बच्चों को मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक दक्षता दिलाना है।
- ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ अभियान ECCE को पोषण के साथ जोड़ने की एक अभिनव पहल है।
- भारत में लगभग 15 करोड़ बच्चे ECCE सेवाओं के दायरे में आते हैं, जिनकी समुचित देखभाल विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
निष्कर्ष
आंगनवाड़ी केंद्रों का स्कूलों के साथ सह-स्थान न केवल शिक्षा और पोषण को जोड़ने का एक सशक्त प्रयास है, बल्कि यह एक मजबूत, समावेशी और सुसंगत शिक्षा तंत्र की ओर अग्रसर कदम है। यह पहल नन्हें बच्चों को एक सुदृढ़ आधार प्रदान करेगी, जिससे वे न केवल अच्छे विद्यार्थी बनें, बल्कि संवेदनशील, नैतिक और विचारशील नागरिक भी बनें। यह दिशा-निर्देश विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने की नींव को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।