असम में मिली नई प्रजाति — ‘असम अम्ब्रेला प्लांट’ का अद्भुत botanical खोज

असम के दीमा हसाओ और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों में वैज्ञानिकों ने एक दुर्लभ और नई पादप प्रजाति की खोज की है, जिसे हेप्टाप्लेरम अस्सामिकम (Heptapleurum assamicum) नाम दिया गया है। यह एक सघन, सदाबहार झाड़ी है, जो पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध जैव विविधता में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ती है। इसकी खोज जुलाई 2025 में Feddes Repertorium पत्रिका में प्रकाशित हुई। यह पौधा कोपिली नदी बेसिन के एक बड़े पत्थर के किनारे मात्र 10 पौधों के समूह के रूप में पाया गया, जो विशेष रियोफाइटिक आवास में उगते हैं — ऐसे पौधे जो बहते पानी में पनपने के लिए अनुकूलित होते हैं।
प्रजाति की विशेष पहचान
हेप्टाप्लेरम अस्सामिकम, अरालिएसी (Araliaceae) कुल का सदस्य है, जिसमें लोकप्रिय सजावटी “अम्ब्रेला प्लांट” (H. arboricola) भी शामिल है। हालांकि, यह असम का जंगली रिश्तेदार कई मायनों में अलग है —
- इसकी पत्तियां संकरी और भाला-आकार की होती हैं, जिनकी चौड़ाई कभी 1.2 सेमी से अधिक नहीं होती।
- इसके फूल बैंगनी रंग के होते हैं, जबकि सजावटी प्रजाति के फूल हरे-पीले रंग के होते हैं।
- पुष्पक्रम (inflorescence) में अधिकतम 15 फूल होते हैं।
- फल पकने पर गहरे बैंगनी-लाल रंग के हो जाते हैं और उन पर नारंगी-लाल ग्रंथियां होती हैं, जो इसे और विशिष्ट बनाती हैं।
आवास और संरक्षण स्थिति
यह पौधा जनवरी से मार्च के बीच फूल देता है और मई तक फल तैयार हो जाते हैं। इसकी वर्तमान ज्ञात जनसंख्या अत्यंत सीमित और स्थानीयकृत है, जिससे यह पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील बन जाता है। हालांकि तत्काल कोई बड़ा खतरा दर्ज नहीं हुआ है, इसे फिलहाल IUCN मानकों के तहत “डेटा डेफिशिएंट” श्रेणी में रखा गया है। वैज्ञानिकों ने इसके विस्तृत वितरण और संरक्षण स्थिति के आकलन के लिए और सर्वेक्षण की अनुशंसा की है।
सजावटी और वैज्ञानिक महत्व
इसके सदाबहार पत्तों, सघन आकार और छायादार वातावरण में उगने की क्षमता के कारण इसमें सजावटी पौधे के रूप में भी संभावनाएं हैं। इसका सुझाया गया सामान्य नाम “असम अम्ब्रेला प्लांट” है, जो इसके पत्तों के छतरी जैसे स्वरूप और इसके मूल स्थान को दर्शाता है। इस खोज से यह भी स्पष्ट होता है कि पूर्वोत्तर भारत में पौधों की विविधता और टैक्सोनॉमी के क्षेत्र में अभी बहुत शोध की संभावनाएं बाकी हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- हेप्टाप्लेरम वंश में विश्वभर में लगभग 320 मान्यता प्राप्त प्रजातियां हैं, जिनमें भारत में 23 पाई जाती हैं।
- रियोफाइटिक पौधे वे होते हैं जो तेज बहाव वाले नदी-नालों के किनारे पत्थरों या बालू पर उगते हैं।
- अरालिएसी कुल में जिनसेंग जैसे औषधीय पौधे भी आते हैं।
- कोपिली नदी, असम और मेघालय से होकर बहती है और इसकी पारिस्थितिकी में कई दुर्लभ जलीय और स्थल पौधों का निवास है।
अंततः, हेप्टाप्लेरम अस्सामिकम असम की छुपी हुई वनस्पति धरोहर का जीवंत प्रतीक है। यह खोज इस बात का प्रमाण है कि 21वीं सदी में भी प्रकृति के कई रहस्य हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस प्रजाति का संरक्षण न केवल जैव विविधता के लिए, बल्कि स्थानीय और वैज्ञानिक विरासत के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।