असम में बहुपत्नी विवाह पर प्रतिबंध: समान विवाह व्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम

असम में बहुपत्नी विवाह पर प्रतिबंध: समान विवाह व्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम

असम सरकार ने हाल ही में एक ऐतिहासिक विधेयक को मंज़ूरी दी है, जिसका उद्देश्य राज्य में बहुपत्नी विवाह (पॉलिगैमी) को दंडनीय अपराध घोषित करना है। यह कदम न केवल विवाह संबंधी नियमों में समानता लाने का प्रयास है, बल्कि प्रभावित महिलाओं को न्याय और सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है।

विधेयक के प्रावधान और सजा

इस विधेयक के तहत बहुपत्नी विवाह को अपराध घोषित किया गया है और दोषी पाए जाने पर अधिकतम सात वर्षों की सजा का प्रावधान रखा गया है। इसके अतिरिक्त, पीड़ित महिलाओं को मुआवज़ा दिए जाने का भी प्रावधान शामिल किया गया है।
इस विधेयक का मूल उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है और विभिन्न समुदायों के बीच विवाह व्यवस्था में एकरूपता लाना है, जो कि देशव्यापी समान नागरिक संहिता के विचार से भी मेल खाता है।

अनुसूचित जनजातियों और विशेष क्षेत्रों के लिए छूट

इस विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि यह कानून असम की अनुसूचित जनजातियों (ST) और छह अनुसूचित क्षेत्रों (Scheduled Areas) पर लागू नहीं होगा। संविधानिक अधिकारों और सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान करते हुए, इन वर्गों को इस कानून से छूट दी गई है।
साथ ही, उन अल्पसंख्यक मुस्लिम नागरिकों, जिनकी बहुपत्नी विवाह 2005 से पहले इन अनुसूचित क्षेत्रों में हुई थी, उन्हें भी इस विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • असम कैबिनेट ने यह विधेयक नवंबर 2025 में स्वीकृत किया।
  • कानून के उल्लंघन पर सात वर्ष तक की जेल और पीड़िता के लिए मुआवज़े का प्रावधान है।
  • यह कानून अनुसूचित जनजातियों और छह अनुसूचित क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।
  • 2005 से पूर्व के बहुपत्नी विवाह (Scheduled Areas में) भी इस कानून से मुक्त रहेंगे।

आगामी प्रक्रिया और कानूनी बदलाव

असम सरकार इस विधेयक को आगामी बजट सत्र में विधानसभा में पेश करेगी। यह राज्य सरकार की व्यापक सुधार योजनाओं का हिस्सा है, जिसमें हथियार लाइसेंस और भूमि लेनदेन से संबंधित नियमों को भी सख्त बनाया जाना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह विधेयक केवल एक सामाजिक सुधार नहीं, बल्कि असम को कानूनी समानता और सामाजिक न्याय की ओर ले जाने वाला आधार स्तंभ है। यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकती है, जो विवाह कानूनों में समानता और पारदर्शिता लाने की दिशा में कदम उठाना चाहते हैं।

Originally written on November 10, 2025 and last modified on November 10, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *