अवैध विदेशी नागरिकों पर सख्ती: दस्तावेज जारी करने से पहले अब अनिवार्य होगी विदेशी डेटाबेस से जांच

अवैध विदेशी नागरिकों पर सख्ती: दस्तावेज जारी करने से पहले अब अनिवार्य होगी विदेशी डेटाबेस से जांच

भारत में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई को तेज करते हुए गृह मंत्रालय (MHA) ने सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और पहचान पत्र जारी करने वाली एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे आधार, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड या किसी अन्य दस्तावेज को जारी करने से पहले आवेदनकर्ता का नाम प्रवासी डेटाबेस में जांचें। यह कदम भारत सरकार की अवैध प्रवासियों की पहचान, उनकी वापसी और भारतीय नागरिकों के लिए आरक्षित सुविधाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की रणनीति का हिस्सा है।

पहचान दस्तावेजों की जांच के लिए तीन प्रमुख डेटाबेस का एकीकरण

गृह मंत्रालय ने इस संबंध में IVFRT (इमिग्रेशन वीजा फॉरेनर रजिस्ट्रेशन ट्रैकिंग), FIP (फॉरेनर आइडेंटिफिकेशन पोर्टल) और IMB पास सिस्टम (भारत-म्यांमार सीमा प्रवेश प्रणाली) के डेटाबेस को एकीकृत करने की प्रक्रिया शुरू की है। ये तीनों डेटाबेस अब एक सामान्य इंटीग्रेशन सर्वर के माध्यम से दस्तावेज जारी करने वाली सभी एजेंसियों को उपलब्ध कराए जाएंगे।
इसके माध्यम से आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड, पासपोर्ट और आयुष्मान कार्ड जैसे दस्तावेज जारी करने से पहले हर आवेदनकर्ता के विवरण की जांच की जाएगी ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि वे विदेशी नागरिक नहीं हैं।

30 दिन की समयसीमा और दस्तावेज रद्द करने का निर्देश

गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक सख्त निर्देश जारी करते हुए 30 दिनों के भीतर बांग्लादेश और म्यांमार से आए संदिग्ध अवैध प्रवासियों की नागरिकता जांच पूरी करने को कहा है। अगर निर्धारित समय में दस्तावेजों की पुष्टि नहीं होती है, तो संबंधित व्यक्ति को देश से निकाला जाएगा।
जो दस्तावेज पहले ही जारी हो चुके हैं, उनकी भी तीनों डेटाबेस से जांच की जाएगी। अगर किसी व्यक्ति की जानकारी विदेशी डेटाबेस से मेल खाती है, तो उसके दस्तावेज तुरंत रद्द किए जाएंगे और यह जानकारी अन्य संबंधित एजेंसियों को भी साझा की जाएगी ताकि उनके द्वारा जारी अन्य दस्तावेज भी निरस्त किए जा सकें।

अवैध पहचान और राष्ट्रीय सुरक्षा

गृह मंत्रालय के अनुसार, कई रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि कुछ विदेशी नागरिक फर्जी तरीके से भारतीय दस्तावेज प्राप्त कर रहे हैं और भारतीय नागरिकों के लिए आरक्षित सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। इससे न केवल सामाजिक संसाधनों पर बोझ बढ़ता है, बल्कि यह देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा है क्योंकि फर्जी दस्तावेजों का उपयोग आपराधिक और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में किया जा सकता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • IVFRT प्रणाली का उपयोग भारत में आने वाले प्रत्येक विदेशी नागरिक के पंजीकरण और ट्रैकिंग के लिए किया जाता है।
  • FIP पोर्टल सभी राज्यों को विदेशी नागरिकों की पहचान और निगरानी में मदद करता है।
  • IMB पास प्रणाली भारत-म्यांमार सीमा से आने वाले लोगों का विवरण और बायोमेट्रिक्स संग्रहित करती है।
  • भारतीय पहचान पत्र जैसे आधार और वोटर आईडी केवल भारतीय नागरिकों को जारी किए जाते हैं, प्रवासियों को नहीं।

यह कदम भारत की पहचान प्रणाली की विश्वसनीयता बनाए रखने और विदेशी घुसपैठ को रोकने की दिशा में एक निर्णायक पहल है। गृह मंत्रालय की यह नीति न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि सामाजिक योजनाओं को भी सही पात्रों तक पहुंचाने में सहायक होगी। अवैध प्रवासियों की पहचान और दस्तावेजों की रद्दीकरण प्रक्रिया से भारत की प्रशासनिक क्षमता और नागरिकता के प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ेगी।

Originally written on May 30, 2025 and last modified on May 30, 2025.

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