अरालम: भारत का पहला तितली अभयारण्य बना पश्चिमी घाट का नया आकर्षण

अरालम: भारत का पहला तितली अभयारण्य बना पश्चिमी घाट का नया आकर्षण

पश्चिमी घाट, जो प्रकृति प्रेमियों और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए एक स्वर्ग के समान है, अब एक अनोखे वन्यजीव संरक्षण केंद्र का घर बन गया है — अरालम तितली अभयारण्य। 18 जून को केरल राज्य वन्यजीव बोर्ड ने कन्नूर स्थित अरालम वन्यजीव अभयारण्य का नाम बदलकर “अरालम तितली अभयारण्य” कर दिया, जिससे यह भारत का पहला संरक्षित वन क्षेत्र बन गया जो पूरी तरह से तितलियों को समर्पित है।

तितलियों के लिए समर्पित एक अद्वितीय संरक्षित क्षेत्र

55 वर्ग किलोमीटर में फैला यह अभयारण्य उष्णकटिबंधीय और अर्द्ध-सदाबहार वनों से ढका हुआ है। यह क्षेत्र केरल में पाई जाने वाली 80% से अधिक तितली प्रजातियों का घर है — कुल 266 से अधिक प्रजातियाँ। इनमें कई प्रजातियाँ स्थानीय हैं और कुछ संकटग्रस्त भी। अक्टूबर से फरवरी के बीच यहां तितलियों का प्रवास काल होता है, जब निचले पश्चिमी घाट से हजारों तितलियाँ यहां आती हैं, जिससे पूरा जंगल रंग-बिरंगा दृश्य प्रस्तुत करता है।

संरक्षण और अध्ययन का केंद्र

1984 में स्थापित अरालम वन्यजीव अभयारण्य को वैज्ञानिकों, प्रकृतिवादियों और पर्यावरणविदों का सहयोग प्राप्त रहा है। पिछले 25 वर्षों से राज्य वन विभाग और मालाबार नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी मिलकर यहां तितली सर्वेक्षण करते आ रहे हैं। जनवरी-फरवरी में आयोजित “बटरफ्लाई माइग्रेशन स्टडी” न केवल वैज्ञानिक जानकारी को समृद्ध करती है, बल्कि यह आम लोगों में भी जागरूकता फैलाती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अरालम तितली अभयारण्य: भारत का पहला तितली केंद्रित संरक्षित वन क्षेत्र
  • स्थान: कन्नूर, केरल; पश्चिमी घाट की तलहटी में स्थित
  • क्षेत्रफल: 55 वर्ग किलोमीटर
  • तितली प्रजातियाँ: 266 से अधिक; जिनमें कॉमन अल्बाट्रॉस जैसे प्रवासी तितलियाँ शामिल
  • प्रमुख पशु प्रजातियाँ: हाथी, मलाबार जायंट स्क्विरल, नीलगिरि लंगूर, तेंदुआ आदि
  • मुख्य नदी तंत्र: चीनकन्निपुझा नदी, नारिक्कडावु थोडु, कुरुक्काथोडु

पारिस्थितिक पर्यटन और शैक्षणिक अवसर

अरालम में “बटरफ्लाई सफारी ट्रेल” जैसे गाइडेड भ्रमण यात्राएँ संचालित की जाती हैं, जिनमें आगंतुक तितलियों के व्यवहार, उनके पोषण पौधों और संरक्षण प्रयासों के बारे में जान सकते हैं। यह न केवल एक प्राकृतिक सौंदर्य स्थल है, बल्कि पर्यावरणीय शिक्षा और संरक्षण के लिए भी एक प्रेरणास्पद केंद्र है।

निष्कर्ष

अरालम तितली अभयारण्य का गठन न केवल तितलियों जैसे सूक्ष्म जीवों को संरक्षण देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, बल्कि यह भारत के वन्यजीव संरक्षण में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक भी है। यह पहल यह दर्शाती है कि जैव विविधता का प्रत्येक घटक — चाहे वह छोटा हो या बड़ा — संरक्षण योग्य है और उसका महत्व अपार है। पश्चिमी घाट की इस हरित गोद में यह रंगीन पहल एक नई उम्मीद की उड़ान है।

Originally written on June 30, 2025 and last modified on June 30, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *