अरलाम वन्यजीव अभयारण्य में छिपकलियों की पहचान सर्वेक्षण, 16 प्रजातियाँ दर्ज
केरल के अरलाम वन्यजीव अभयारण्य में आयोजित चार दिवसीय छिपकली पहचान कार्यशाला और क्षेत्रीय सर्वेक्षण में 16 प्रजातियों की छिपकलियों का दस्तावेजीकरण किया गया। यह कार्यक्रम मालाबार अवेयरनेस एंड रेस्क्यू सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ (MARC) द्वारा आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य वन विभाग के कर्मचारियों को कम ज्ञात जीवों की पहचान में प्रशिक्षित करना था। हर्पेटोलॉजिस्ट एस.आर. गणेश ने इस कार्यशाला का नेतृत्व किया, जिसमें कक्षा शिक्षण और फील्ड सर्वेक्षण दोनों को शामिल किया गया।
संकटग्रस्त कोट्टीयूर डे गेको पर ध्यान
सर्वेक्षण का एक प्रमुख केंद्र कोट्टीयूर डे गेको (Cnemaspis kotiyoorensis) था, जिसे पहली बार 2014 में वैज्ञानिक रूप से दर्ज किया गया था। इस दुर्लभ प्रजाति को सूर्यमुडी कैम्प क्षेत्र में फिर से दर्ज किया गया, जिससे इसकी अत्यंत सीमित वितरण सीमा की पुष्टि हुई।
दर्ज की गई प्रमुख प्रजातियाँ
इस सर्वेक्षण में छिपकलियों की चार अलग-अलग कुलों (Families) से प्रजातियाँ दर्ज की गईं:
- Agamidae परिवार: भारतीय उड़ने वाली छिपकली, ओरिएंटल गार्डन लिज़ार्ड, कॉमन ग्रीन फॉरेस्ट लिज़ार्ड, संकटग्रस्त नीलगिरि फॉरेस्ट लिज़ार्ड, एलियट की फॉरेस्ट लिज़ार्ड और रूक्स की फॉरेस्ट लिज़ार्ड।
- Scincidae परिवार: कील्ड इंडियन मबुया, संकटग्रस्त शॉर्ट ग्रास स्किंक, डॉसन का ग्रास स्किंक और बेडोम की कैट स्किंक।
- Gecko परिवार: संकटग्रस्त वायनाड डे गेको, कोस्टल डे गेको, कोट्टीयूर डे गेको, कॉमन हाउस गेको और स्पॉटेड हाउस गेको।
- Varanidae परिवार: भारतीय मॉनिटर।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- कोट्टीयूर डे गेको 2014 में खोजा गया था और यह गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति है।
- अरलाम वन्यजीव अभयारण्य, केरल के कन्नूर जिले में स्थित है और इसका क्षेत्रफल लगभग 55 वर्ग किमी है।
- भारत में छिपकलियों की कुल 270 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- छिपकलियाँ पारिस्थितिकी तंत्र में कीट नियंत्रण और जैव विविधता संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।