अमेरिका द्वारा ड्रोन बिक्री नीति में बदलाव: वैश्विक हथियार बाजार में नया अध्याय

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 38 वर्षीय शस्त्र नियंत्रण संधि की नई व्याख्या कर के उन्नत सैन्य ड्रोन की वैश्विक बिक्री का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है। इस कदम के माध्यम से अमेरिका अब अपने उन्नत “रीपर” जैसे ड्रोन सऊदी अरब समेत अन्य मित्र राष्ट्रों को बेचने की योजना बना रहा है। यह नीति न केवल अमेरिका के हथियार निर्यात को बढ़ावा देगी, बल्कि वैश्विक ड्रोन बाजार में उसकी स्थिति को और मजबूत करेगी।
सैन्य ड्रोन को विमानों की श्रेणी में रखने की योजना
अमेरिका इस नीति के तहत ड्रोन को पारंपरिक मिसाइल प्रणालियों की बजाय लड़ाकू विमानों की श्रेणी में वर्गीकृत करेगा। इससे वह 1987 में हस्ताक्षरित मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) के कड़े नियमों से बच पाएगा। MTCR का उद्देश्य ऐसे हथियारों की बिक्री को नियंत्रित करना था जो बड़े पैमाने पर विनाश करने में सक्षम हों। हालांकि ड्रोन इस संधि के तहत नहीं बनाए गए थे, लेकिन उनकी लंबी दूरी और हथियार ले जाने की क्षमता के चलते उन्हें इसमें शामिल किया गया।
सऊदी अरब और अन्य देशों को बिक्री की तैयारी
नई नीति के अंतर्गत अमेरिका सऊदी अरब को 100 से अधिक MQ-9 ड्रोन बेच सकता है, जिसकी मांग सऊदी सरकार ने पहले ही कर दी थी। इसके अलावा प्रशांत क्षेत्र और यूरोप के कई सहयोगी देशों ने भी ऐसे ड्रोन में रुचि दिखाई है। यह बदलाव जनरल एटॉमिक्स, क्रेटोस और एंड्युरिल जैसी कंपनियों को लाभ पहुंचाएगा, जो उन्नत ड्रोन का निर्माण करती हैं।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा और अमेरिका की रणनीति
अमेरिका के ड्रोन निर्माता चीन, इज़रायल और तुर्की जैसी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं, जो कम प्रतिबंधों के साथ अपने उत्पाद बेचती हैं। चीन और इज़रायल MTCR के सदस्य नहीं हैं, जबकि तुर्की 1997 में इसमें शामिल हुआ था। इसके बावजूद तुर्की के छोटे रेंज वाले बायरकटार-TB2 ड्रोन यूक्रेन में रूसी सेना के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- MTCR (Missile Technology Control Regime) की स्थापना 1987 में हुई थी और इसका मुख्य उद्देश्य मिसाइल प्रसार को रोकना है।
- अमेरिका अब तक अपनी MTCR की प्रतिबद्धताओं के कारण बड़े ड्रोन की बिक्री को नियंत्रित रखता था।
- चीन और इज़रायल जैसे देश MTCR में शामिल नहीं हैं, जिससे वे अधिक आसानी से हथियारों का निर्यात कर सकते हैं।
- Bayraktar-TB2 ड्रोन को यूक्रेन युद्ध में प्रभावी रूप से प्रयोग किया गया, जिससे तुर्की की रक्षा तकनीक को वैश्विक पहचान मिली।
नीति बदलाव के संभावित प्रभाव
इस नीति परिवर्तन से अमेरिका का उद्देश्य वैश्विक ड्रोन आपूर्तिकर्ता के रूप में नेतृत्व स्थापित करना है। यह कदम अमेरिका के विदेशी सैन्य बिक्री कार्यक्रम (Foreign Military Sales) की व्यापक समीक्षा का हिस्सा है, जिसे 2025 के अंत तक लागू किया जा सकता है। हालांकि, इससे संबंधित मानवाधिकार और क्षेत्रीय स्थिरता के सवाल भी उठ रहे हैं, विशेषकर मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में।
ट्रम्प प्रशासन इस नीति को नौकरियों के सृजन और व्यापार घाटे को कम करने की दिशा में एक आर्थिक पहल के रूप में प्रस्तुत कर सकता है। लेकिन आलोचक चेतावनी दे रहे हैं कि इससे हथियारों की दौड़ को बल मिल सकता है और वैश्विक अस्थिरता बढ़ सकती है।
अंततः, यह नीति परिवर्तन अमेरिका की रक्षा कूटनीति, आर्थिक रणनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है। किंतु इसके दूरगामी प्रभावों पर गंभीर चर्चा और वैश्विक सहमति की आवश्यकता भी बनी रहेगी।