अमेरिका के टैरिफ हमले के बीच भारत की रणनीति: राष्ट्रीय हित, कूटनीति और आत्मनिर्भरता का संतुलन

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 30 जुलाई को भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ और उसके बाद रूस से ऊर्जा और हथियारों की खरीद को लेकर 6 अगस्त को अतिरिक्त 25% दंडात्मक शुल्क ने वैश्विक व्यापार संतुलन को हिला दिया है। भारत ने अमेरिका के इस रुख का जवाब आक्रामकता से नहीं, बल्कि संतुलन, रणनीति और सहयोग की भावना से दिया है।
टैरिफ का कारण और अमेरिका की स्थिति
अमेरिका द्वारा लगाया गया टैरिफ इस आधार पर था कि भारत ने कृषि, डेयरी और झींगा जैसे क्षेत्रों को अमेरिकी बाजार के लिए नहीं खोला। वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में भारत पर रूसी तेल की खरीद और उसके निर्यात से होने वाले मुनाफे को युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया।
ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर अमेरिका से कमाई कर रूस से सस्ता तेल खरीदने और यूरोप को निर्यात कर लाभ कमाने का आरोप लगाया, जबकि यह भी माना कि चीन पर इस तरह की कार्रवाई अमेरिका नहीं कर सकता क्योंकि चीन की आपूर्ति श्रृंखला पर अमेरिका निर्भर है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अमेरिका ने 30 जुलाई 2025 को भारत पर 25% टैरिफ लगाया।
- 6 अगस्त 2025 को रूस से व्यापार के कारण अतिरिक्त 25% शुल्क जोड़ा गया।
- 27 अगस्त से यह शुल्क लागू होना था।
- अमेरिका के वर्तमान खजाने में कमी और करंट अकाउंट डेफिसिट के चलते ट्रंप ने आपातकालीन शक्तियों का हवाला दिया।
- अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम, पैलेडियम और खाद खरीद रहा है, और उसका रूस से व्यापार 20% बढ़ा है।
भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम में बेहद संतुलित और परिपक्व रवैया अपनाया है:
- किसी मंत्री या प्रधानमंत्री ने अमेरिका के खिलाफ कोई तीखा बयान नहीं दिया।
- विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने रूस के साथ व्यापार को लेकर स्पष्ट किया कि यह राष्ट्रीय हित से प्रेरित है, न कि किसी भू-राजनीतिक एजेंडे से।
- भारत-रूस व्यापार लक्ष्य $100 अरब तक बढ़ाने की योजना बनाई गई है।
- रूस ने तेल पर 5% छूट दी है, जिससे भारतीय कंपनियों ने नए ऑर्डर दिए हैं।
चीन के साथ सामरिक संतुलन
चीन ने भी इस घटनाक्रम में भारत का समर्थन किया:
- चीन ने उर्वरक, रेयर अर्थ उत्पाद और बोरिंग मशीनरी पर प्रतिबंध हटाए।
- सीमा व्यापार, कैलाश मानसरोवर यात्रा, और वीज़ा में ढील देने पर सहमति बनी।
- बीजिंग में शी जिनपिंग से मुलाकात के लिए मोदी को आमंत्रण मिला।
घरेलू नीति में प्रतिक्रियाएं
- प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत और GST में कटौती की बात की ताकि उत्पादन लागत घटे और MSMEs वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिकें।
- वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि टैरिफ से प्रभावित क्षेत्रों जैसे खाद्य प्रसंस्करण और वस्त्र उद्योग में घरेलू मांग को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाएगा।
निष्कर्ष
भारत ने अमेरिका के टैरिफ फैसले का जवाब ना तो घुटने टेककर दिया, और ना ही टकराव से। राष्ट्रीय हित, आर्थिक विवेक और कूटनीतिक संतुलन के माध्यम से भारत ने यह दिखाया कि वह अब नीतिगत रूप से परिपक्व, वैश्विक मंच पर सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बन चुका है। इंडो-अमेरिका साझेदारी में यह एक अस्थायी बाधा हो सकती है, लेकिन भारत का रुख इस रिश्ते को संभालने और मजबूत बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।