अफ्रीका में बढ़ती हीट वेव्स का मुख्य कारण मानव गतिविधियाँ: अध्ययन

एक नए वैज्ञानिक अध्ययन में स्पष्ट किया गया है कि अफ्रीका में तीव्र होती गर्मी की लहरों (हीट वेव्स) के पीछे मुख्य रूप से मानव गतिविधियाँ जिम्मेदार हैं। यह अध्ययन ‘नेचर कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट’ में प्रकाशित हुआ है और इसमें 1950 से 2024 तक के तापमान और मौसम के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और मानवीय गतिविधियाँ
अध्ययन में बताया गया है कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में तीव्र वृद्धि, वनों की कटाई, शहरीकरण और भूमि उपयोग में परिवर्तन जैसी मानवीय गतिविधियाँ अफ्रीका में हीट वेव्स की आवृत्ति, तीव्रता और अवधि को बढ़ा रही हैं। इससे जल संकट, फसलें नष्ट होने, स्वास्थ्य समस्याएँ, ऊर्जा मांग और आर्थिक चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
तापमान का ऐतिहासिक विश्लेषण
1950 से 1979 तक तापमान अपेक्षाकृत स्थिर रहा, जिसका कारण वायुमंडल में सल्फेट प्रदूषण था, जिससे बादल अधिक बनते थे और गर्मी पर अंकुश लगता था। इस काल में हीट वेव्स का मुख्य कारण प्राकृतिक जलवायु परिवर्तन था। लेकिन 1985 से 2014 के बीच गिरते सल्फेट प्रदूषण और बढ़ते GHG उत्सर्जन के चलते हीट वेव्स का प्रभाव कई गुना बढ़ गया।
अध्ययन के निष्कर्ष
- 1985 से 2014 के बीच हर दशक में 0.15 अधिक हीट वेव्स, 0.3 अतिरिक्त हीट वेव दिनों और 0.3°C तक तापमान वृद्धि दर्ज हुई।
- GHG उत्सर्जन इन परिवर्तनों के लिए 70% तक जिम्मेदार था, जबकि प्राकृतिक कारणों का योगदान केवल 30% रहा।
- 2024 अफ्रीका के लिए सबसे गर्म या दूसरा सबसे गर्म वर्ष रहा, जिसमें भीषण बाढ़, सूखा और समुद्री हीट वेव्स देखे गए।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अध्ययन ने हीट वेव्स को तीन श्रेणियों में बांटा: दिन के समय, रात के समय और मिश्रित।
- 2024 में पश्चिमी अफ्रीका में 40°C से अधिक तापमान दर्ज किया गया।
- अध्ययन ने पहली बार प्रत्येक स्थान के लिए सबसे गर्म तीन महीनों को चिन्हित कर हीट वेव विश्लेषण किया।
- अफ्रीका वैश्विक जलवायु परिवर्तन में बहुत कम योगदान देता है, लेकिन सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है।
रणनीतियाँ और समाधान
अध्ययन में कहा गया है कि हीट वेव्स के प्रभाव को कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर उपयुक्त अनुकूलन रणनीतियाँ तैयार की जानी चाहिए। इनमें शामिल हैं:
- बहु-आपदा पूर्व चेतावनी प्रणालियों को मजबूत बनाना
- हीट-रिस्क साक्षरता बढ़ाना
- स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर अनुकूलन योजनाएं बनाना
अंततः यह स्पष्ट है कि यदि हीट वेव्स की चुनौती से निपटना है, तो अफ्रीका को जलवायु न्याय और वैश्विक सहयोग के तहत प्राथमिकता मिलनी चाहिए। अध्ययन न केवल कारणों की पहचान करता है, बल्कि समाधान की दिशा में एक वैज्ञानिक आधार भी प्रस्तुत करता है।