अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा तनाव: दरार की लकीर बनती जा रही है ड्यूरंड रेखा

अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा तनाव: दरार की लकीर बनती जा रही है ड्यूरंड रेखा

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद एक बार फिर खूनी संघर्ष में बदल गया है, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप और हमले किए हैं। ड्यूरंड रेखा पर केंद्रित इस संघर्ष ने 58 पाकिस्तानी सैनिकों और 200 से अधिक तालिबान लड़ाकों की मौत के दावे किए हैं, जबकि पाकिस्तान ने केवल 23 सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की है। दोनों पक्षों की भिन्न-भिन्न संख्याएं और बयानों की तीव्रता यह दिखाती है कि यह संघर्ष अब केवल सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीतिक और वैचारिक मोर्चों पर भी फैल चुका है।

ड्यूरंड रेखा: एक विवादित सीमा

2,600 किलोमीटर लंबी ड्यूरंड रेखा, जिसे अफगानिस्तान आधिकारिक रूप से आज तक नहीं मानता, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच दशकों से तनाव का स्रोत रही है। इस बार के संघर्ष में पाकिस्तान पर काबुल, और पूर्वी अफगान बाजारों पर बमबारी करने के आरोप लगे हैं, जिसका जवाब तालिबान ने सीमापार हमला कर दिया।

टीटीपी और तालिबान: सहयोग या शरण?

पाकिस्तान के मुताबिक, अफगानिस्तान की जमीन से काम कर रहा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) देश में लगातार आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा है। हालांकि भारत में मौजूद अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि “टीटीपी के सदस्य शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं, वे अफगान नहीं हैं। यह पाकिस्तान का आंतरिक संघर्ष है।”

बदलते रिश्ते: जो कभी सहयोगी थे, अब प्रतिद्वंद्वी बन चुके हैं

1990 के दशक से पाकिस्तान ने तालिबान को समर्थन दिया था—चाहे वह प्रशिक्षण हो, चिकित्सा सहायता हो या राजनीतिक मान्यता। लेकिन 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद समीकरण बदल गए। अब तालिबान पाकिस्तान की शरण या समर्थन पर निर्भर नहीं है। वे घरेलू वैधता हासिल करने में लगे हैं और पाकिस्तान से दूरी बनाकर अफगान जनता के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ा रहे हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ड्यूरंड रेखा 1893 में ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच तय की गई थी, लेकिन अफगान सरकारें इसे आज तक मान्यता नहीं देतीं।
  • TTP (Tehreek-e-Taliban Pakistan) को संयुक्त राष्ट्र ने 2011 में अल-कायदा से जुड़ा आतंकवादी संगठन घोषित किया था।
  • पाकिस्तान की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन ‘जर्ब-ए-अज़ब’ और ‘रद्द-उल-फसाद’ ने पहले टीटीपी को कमजोर किया था।
  • 2024 में पाकिस्तान में हिंसा का स्तर 2015 के बाद सबसे ऊँचा दर्ज किया गया।
Originally written on October 14, 2025 and last modified on October 14, 2025.

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