‘अनोखी दुनिया’: बुलंदशहर के खुरजा में बना विश्व का पहला सिरेमिक अपशिष्ट पार्क

उत्तर प्रदेश सरकार ने पारंपरिक कारीगरी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक अनूठी पहल की है। बुलंदशहर जिले के खुरजा में ‘अनोखी दुनिया’ नामक एक ऐसा पार्क विकसित किया गया है, जिसे पूरी तरह सिरेमिक कचरे से सजाया गया है। यह दुनिया का पहला ऐसा पार्क है जो सिरेमिक अपशिष्ट से बना है, और यह पहल पारंपरिक उद्योगों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

खुरजा की पहचान को मिला नया आयाम

खुरजा को ‘सिरेमिक की राजधानी’ के रूप में जाना जाता है, और यहां के मिट्टी के बर्तन तथा सिरेमिक उत्पाद देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। ‘अनोखी दुनिया’ इसी विरासत को सहेजने और आगे बढ़ाने की एक कोशिश है। बुलंदशहर-खुरजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. अंकुर लाठर के अनुसार, यह पार्क पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर 2 एकड़ भूमि में निर्मित किया गया है। इसमें 80 टन से अधिक सिरेमिक अपशिष्ट को कलात्मक रूप से प्रयोग में लाया गया है।

अपशिष्ट से कला: कलाकारों की मेहनत का नतीजा

पार्क की रचना में छह प्रमुख कलाकारों और 120 से अधिक कारीगरों की टीम ने कई महीनों तक कार्य किया। इसके अंतर्गत लगभग 100 अनूठी कलाकृतियाँ तैयार की गईं, जिनमें से 28 बड़ी इंस्टॉलेशन्स हैं, जो टूटे घड़े, कप, केतली जैसे फेंक दिए गए वस्तुओं से बनाई गई हैं। ये कलाकृतियाँ न केवल पर्यावरणीय सजगता को दर्शाती हैं, बल्कि खुरजा की पारंपरिक कारीगरी को भी नई पहचान देती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • खुरजा, उत्तर प्रदेश का एक शहर, सिरेमिक उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय पहचान रखता है।
  • ODOP (One District One Product) योजना के अंतर्गत, खुरजा को सिरेमिक उत्पादों के लिए चयनित किया गया है।
  • स्वच्छ भारत अभियान के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए इस पार्क को कचरे से कला में बदलने का उदाहरण बताया गया है।
  • इस पार्क के निर्माण में ₹5.86 करोड़ की लागत आई है और इसका रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए नाममात्र प्रवेश शुल्क रखा गया है।

पर्यटन और शिक्षा का समन्वय

पार्क केवल कला का केंद्र नहीं है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए एक पूर्ण अनुभव केंद्र भी है। इसमें सेल्फी पॉइंट्स, कैफे, और हरियाली से युक्त सुंदर परिसर शामिल हैं, जो सभी आयु वर्ग के आगंतुकों को आकर्षित करेंगे। यह स्थान न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि लोगों को अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण की शिक्षा भी देता है।
‘अनोखी दुनिया’ वास्तव में खुरजा की सिरेमिक परंपरा, पर्यावरणीय जागरूकता और आधुनिक डिजाइन की संगमस्थली बन कर उभर रही है। यह पहल न केवल प्रदेश को सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से सशक्त बनाएगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत के कारीगरों की रचनात्मकता को भी विशेष पहचान दिलाएगी।

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