अनुमान से पहले ही हो रहा जलवायु परिवर्तन: भारत में बारिश के बदलते पैटर्न और मॉडलिंग की चुनौती

हाल के शोधों से यह स्पष्ट हुआ है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में वर्ष 2040 के बाद की जो वर्षा प्रवृत्तियाँ अनुमानित की गई थीं, वे पहले ही देखने को मिल रही हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि वर्तमान जलवायु मॉडल्स वैश्विक तापमान वृद्धि की गति और उसके प्रभावों को ठीक से नहीं पकड़ पा रहे हैं, जिससे इन मॉडलों के तत्काल उन्नयन की आवश्यकता है।

असामान्य रूप से बढ़ते अत्यधिक वर्षा के मामले

  • CMIP6 नामक नवीनतम जलवायु मॉडलिंग प्रणाली के अनुसार, अत्यधिक वर्षा की आवृत्ति में वृद्धि 21वीं सदी के उत्तरार्ध में अपेक्षित थी।
  • परंतु, IMD (भारतीय मौसम विभाग) के आंकड़े बताते हैं कि केवल 2025 के जून में ही >115.6 मिमी वर्षा वाली 502 घटनाएं दर्ज हुईं — यह अब तक का उच्चतम आंकड़ा है।
  • 2023 में भी ऐसी 494 घटनाएं हुईं, जबकि 2021 में, जब ला नीना था, सबसे कम घटनाएं दर्ज की गईं।
  • दिलचस्प रूप से, एल नीनो की उपस्थिति में भी 2023 में भारी वर्षा के मामले रिकॉर्ड स्तर पर रहे — यह ENSO प्रभाव की बदलती प्रकृति को दर्शाता है।

वैज्ञानिक चेतावनियाँ और मॉडलिंग की सीमाएं

  • कोलंबिया यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक जेम्स हैनसेन के नेतृत्व में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, 2010 के बाद से वैश्विक तापमान वृद्धि की दर में 50% की वृद्धि हुई है।
  • केवल पिछले दो वर्षों में वैश्विक औसत तापमान में 0.4°C की वृद्धि दर्ज की गई है, जिसे एल नीनो या एयरोसोल में कमी अकेले नहीं समझा सकती।
  • वैज्ञानिकों ने यह भी चेताया है कि यदि यह वृद्धि जारी रही तो Atlantic Meridional Overturning Circulation (AMOC) जैसे महासागरीय प्रणालियाँ अचानक ठप पड़ सकती हैं, जिससे वैश्विक पारिस्थितिकीय असंतुलन हो सकता है।

क्या है समाधान?

  • वैज्ञानिकों ने IPCC से इतर नए मॉडलिंग दृष्टिकोण अपनाने की सिफारिश की है, जो पालेओक्लाइमेट (प्राचीन जलवायु) और अवलोकन-आधारित डेटा पर आधारित हों।
  • आर्कटिक, दक्षिणी महासागर और ध्रुवीय क्षेत्रों से अधिक डेटा संग्रह की भी आवश्यकता बताई गई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • CMIP6 (Coupled Model Intercomparison Project) जलवायु परिवर्तन पर आधारित वैश्विक मॉडलिंग प्रणाली है।
  • SSP 5-8.5 सबसे गंभीर जलवायु परिदृश्य है जिसमें जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग की कल्पना की गई है।
  • ENSO (El Niño-Southern Oscillation) वैश्विक वर्षा पैटर्न पर प्रभाव डालने वाली प्रमुख समुद्री घटना है।
  • AMOC एक महत्वपूर्ण महासागरीय धारा है जो पृथ्वी के तापमान वितरण को नियंत्रित करती है।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अब भविष्य की संभावना नहीं, बल्कि वर्तमान की सच्चाई बन चुका है। भारत जैसे मानसून-निर्भर देश में इन बदलते मौसम पैटर्न का समय पर वैज्ञानिक विश्लेषण, प्रभावशाली नीति निर्माण और तकनीकी अनुकूलन अनिवार्य हो गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *