स्वदेशी 4G नेटवर्क की शुरुआत: आत्मनिर्भर भारत की डिजिटल क्रांति

स्वदेशी 4G नेटवर्क की शुरुआत: आत्मनिर्भर भारत की डिजिटल क्रांति

भारत ने अपनी तकनीकी स्वतंत्रता की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है — पूरी तरह स्वदेशी 4G (5G-रेडी) नेटवर्क का शुभारंभ और 98,000 से अधिक स्वदेशी 4G टावरों की स्थापना। यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के विज़न की सशक्त अभिव्यक्ति है, जिसमें भारत ने न केवल विदेशी तकनीकों पर निर्भरता कम की है, बल्कि अपने कौशल, नवाचार और दूरदृष्टि का प्रदर्शन भी किया है।

स्वदेशी 4G स्टैक: तकनीकी आत्मनिर्भरता की मिसाल

यह नेटवर्क तीन भारतीय संस्थानों के सहयोग से तैयार हुआ है — कोर नेटवर्क C-DOT द्वारा, रेडियो एक्सेस नेटवर्क Tejas Networks द्वारा और एकीकरण कार्य TCS द्वारा किया गया। यह पूरा स्टैक सिर्फ 22 महीनों में विकसित हुआ, जो विश्व स्तर पर किसी भी देश द्वारा इतनी तेज़ गति से नेटवर्क विकास का दुर्लभ उदाहरण है।

  • क्लाउड-नेटीव और 5G-रेडी: इसका आर्किटेक्चर भविष्य की तकनीकों के अनुकूल है, जिससे 5G में अपग्रेड आसानी से संभव है।
  • स्थानीय उत्पादन और रोजगार: इस पहल ने देश में आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूती दी है और हज़ारों युवाओं को डिज़ाइन, परीक्षण और रखरखाव जैसे क्षेत्रों में रोजगार दिया है।
  • सुरक्षा और रणनीतिक संप्रभुता: स्वदेशी तकनीक पर आधारित नेटवर्क भारत को रणनीतिक और डिजिटल संप्रभुता प्रदान करता है।

दूर-दराज़ क्षेत्रों में डिजिटल समावेश

BSNL के माध्यम से शुरू की गई यह सेवा विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों, ग्रामीण गांवों और दुर्गम पहाड़ी इलाकों तक इंटरनेट पहुँचाने में सहायक सिद्ध होगी। इससे ग्रामीण बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा, किसानों को कृषि जानकारी और रोगियों को टेलीमेडिसिन जैसी सेवाएं मिल सकेंगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत अब उन पाँच देशों में शामिल है जो पूर्णतः स्वदेशी 4G नेटवर्क विकसित कर सकें।
  • 98,000 से अधिक 4G टावर लगाए जा चुके हैं, जिनसे 2 करोड़ से अधिक नागरिकों को कनेक्ट किया गया है।
  • नेटवर्क प्रतिदिन लगभग 4 पेटाबाइट डेटा को सुरक्षित रूप से संभाल रहा है।
  • BSNL ने 17 वर्षों के घाटे के बाद लगातार लाभप्रद तिमाहियाँ दर्ज की हैं।
Originally written on September 30, 2025 and last modified on September 30, 2025.

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