विधि आयोग ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान संपत्ति के नुकसान को रोकने के लिए कानूनी सुधारों की सिफारिश की

विधि आयोग ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान संपत्ति के नुकसान को रोकने के लिए कानूनी सुधारों की सिफारिश की

विधि आयोग ने नाकाबंदी और विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान के मुद्दे को संबोधित करने के उद्देश्य से कानूनों में अपडेट का प्रस्ताव दिया है। इन सिफ़ारिशों का मुख्य जोर ऐसे व्यवधान पैदा करने वाले व्यक्तियों या संगठनों के लिए सख्त दंड लागू करना है, जिसमें नुकसान के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माना लगाया जाए।

क्षति के लिए कठोर दंड

आयोग का सुझाव है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान संपत्ति के नुकसान के लिए जिम्मेदार लोगों को नुकसान के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माना भरना चाहिए। इस कदम का उद्देश्य अपराधियों को उनके कार्यों के लिए वित्तीय रूप से जवाबदेह बनाना है, जिससे भविष्य में होने वाली घटनाओं को रोका जा सके। इसके अतिरिक्त, यह प्रस्तावित है कि अपराधियों को जमानत दिए जाने से पहले अनुमानित क्षति मूल्य के बराबर राशि जमा करनी होगी।

नाकेबंदी और विरोध प्रदर्शन का प्रभाव

ये सिफ़ारिशें विशेष रूप से विपक्षी दलों और अधिकार समूहों द्वारा लगातार और विघटनकारी नाकेबंदी की पृष्ठभूमि में आती हैं। इन कार्रवाइयों से न केवल महत्वपूर्ण संपत्ति की क्षति होती है बल्कि सार्वजनिक जीवन भी बाधित होता है। आयोग के प्रस्ताव ऐसे समूहों के नेताओं और सदस्यों को जवाबदेह ठहराने का प्रयास करते हैं, संभावित रूप से उन्हें अपराध के लिए उकसाने वाले के रूप में मानते हैं।

कानूनी ढांचा संवर्द्धन

इन परिवर्तनों को लागू करने के लिए, आयोग या तो नए कानून लाने या भारतीय न्याय संहिता जैसे मौजूदा कानूनों में संशोधन की सलाह देता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाए बिना विरोध प्रदर्शन जिम्मेदारीपूर्वक और शांतिपूर्वक किया जाए।

Originally written on February 6, 2024 and last modified on February 6, 2024.

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