UNFPA रिपोर्ट: भारत में हर तीसरा व्यक्ति झेल रहा अनचाही गर्भधारण की चुनौती, असली संकट है ‘प्रजनन अधिकारों की कमी’

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की 2025 की “State of World Population” रिपोर्ट — जिसका शीर्षक है “द रियल फर्टिलिटी क्राइसेस” — भारत में प्रजनन निर्णयों की स्वतंत्रता को लेकर गहराई से चिंता जताती है। रिपोर्ट के अनुसार, हर तीन में से एक भारतीय (36%) अनचाहे गर्भधारण का अनुभव करता है, जबकि 30% अपनी संतान-संबंधी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाते। 23% लोगों ने दोनों स्थितियों का सामना किया।
असली संकट: गिरती प्रजनन दर नहीं, बल्कि अधूरी इच्छाएं
रिपोर्ट बताती है कि दुनिया को जिस “जनसंख्या संकट” की चिंता है, वह अत्यधिक जनसंख्या या जनसंख्या में गिरावट नहीं, बल्कि यह है कि लाखों लोग अपनी प्रजनन इच्छाओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। UNFPA की भारत प्रतिनिधि एंड्रिया वोज्नार ने इसे “reproductive agency” यानी व्यक्ति की स्वतंत्र और सूचित निर्णय लेने की क्षमता का प्रश्न बताया।
भारत की स्थिति: द्वैधता और असमानता
- भारत का कुल प्रजनन दर (TFR) अब 2.0 पर है, जो replacement-level (2.1) से नीचे है।
- 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्रजनन दर नीचे आ गई है, लेकिन बिहार (3.0), मेघालय (2.9), उत्तर प्रदेश (2.7) जैसे राज्य अब भी उच्च प्रजनन दर के साथ बने हुए हैं।
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच, तथा राज्यवार, जातीय और आय-आधारित असमानताएं अब भी व्यापक हैं।
चुनौतियाँ: सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी बाधाएं
- वित्तीय सीमाएं (40%), रोजगार असुरक्षा (21%), आवास की कमी (22%), और बच्चों की देखभाल की अनुपलब्धता (18%) प्रमुख बाधाएं हैं।
- स्वास्थ्य कारणों में बांझपन (13%), स्वास्थ्य सेवाओं की कमी (14%), और सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं (15%) शामिल हैं।
- जलवायु परिवर्तन, राजनीतिक/सामाजिक अस्थिरता, और पारिवारिक दबाव (19%) भी निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
- किशोर प्रजनन दर भारत में 14.1 प्रति 1,000 लड़कियों (15–19 वर्ष) है, जो चीन (6.6), श्रीलंका (7.3) और थाईलैंड (8.3) से कहीं अधिक है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2025 की UNFPA रिपोर्ट का शीर्षक है: “The Real Fertility Crisis”।
- रिपोर्ट में 14 देशों (भारत सहित) के 14,000 लोगों पर सर्वेक्षण किया गया।
- भारत की जनसंख्या 2060 के आरंभ में 1.7 अरब पर पहुंचकर घटने लगेगी।
- NFHS-5 के अनुसार, बिहार का TWFR है 2.2 जबकि TFR है 3.0 — यह अधूरी प्रजनन इच्छा को दर्शाता है।
समाधान: अधिकार आधारित जनसांख्यिकीय लचीलापन
रिपोर्ट भारत के लिए कई नीतिगत सुझाव देती है:
- सभी वर्गों के लिए गर्भनिरोधक, सुरक्षित गर्भपात, मातृ स्वास्थ्य, और बांझपन उपचार तक पहुंच सुनिश्चित करना।
- बाल देखभाल, आवास, शिक्षा, लचीलापनयुक्त कार्य नीति जैसे क्षेत्रों में निवेश।
- अविवाहितों, LGBTQIA+ समुदाय, और अन्य वंचित समूहों के लिए समावेशी नीति बनाना।
- केवल प्रजनन दर पर नहीं, बल्कि अधूरी योजनाएं, शरीर की स्वायत्तता और स्वास्थ्य साक्षरता पर डेटा एकत्र करना।
- सामाजिक कलंक और रूढ़ियों को चुनौती देने वाले समुदाय केंद्रित प्रयास।