SPARSH: रक्षा पेंशन प्रणाली में पारदर्शिता और सम्मान का नया अध्याय

रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित “सिस्टम फॉर पेंशन एडमिनिस्ट्रेशन – रक्षा” (SPARSH) ने देश की रक्षा पेंशन व्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए इसे एकीकृत, पारदर्शी और उत्तरदायी प्रणाली में बदल दिया है। इस डिजिटल पहल ने लाखों पेंशनभोगियों के लिए न केवल प्रक्रियाओं को सरल बनाया है, बल्कि उनके अधिकारों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया है।

विरासती मामलों का समाधान और शिकायत निवारण में प्रगति

SPARSH ने अब तक 6.43 लाख में से 5.60 लाख (87%) विरासती विसंगतियों का समाधान कर लिया है। इससे लाखों पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के पेंशन अधिकारों की रक्षा हुई है। शिकायत निवारण प्रणाली में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है — जहाँ अप्रैल 2025 में औसत निपटान समय 56 दिन था, वहीं अब यह घटकर मात्र 20 दिन रह गया है।
वर्तमान में, भारत और नेपाल के 31.54 लाख रक्षा पेंशनभोगी SPARSH प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं। इस प्रक्रिया को जन-जागरूकता और समावेशन के ज़रिए आगे बढ़ाने के लिए पिछले एक वर्ष में 100 से अधिक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

प्रभावशाली सेवा और त्वरित भुगतान

SPARSH द्वारा अब तक 211 आउटरीच कार्यक्रम और 193 रक्षा पेंशन समाधान आयोजन (RPSAs) किए गए हैं। वर्ष 2025 में, रक्षा लेखा विभाग (DAD) ने पेंशन और पेंशनभोगियों की समस्याओं के समाधान हेतु 13वीं और 14वीं अखिल भारतीय पेंशन अदालतों में भाग लिया, जहाँ क्रमशः 260 और 252 शिकायतों का तत्काल समाधान हुआ।
SPARSH की पहल पर मई 2025 में 48 पेंशनभोगियों को ₹3.02 करोड़ की राशि स्वतः (suo-moto) जांच के बाद वितरित की गई। वित्त वर्ष 2024-25 में ₹1,57,681 करोड़ की रक्षा पेंशन राशि वास्तविक समय में वितरित की गई।
विशेष रूप से, जब जुलाई 2024 में वन रैंक वन पेंशन (OROP)-III लागू हुआ, तब मात्र 15 दिनों में ₹1,224.76 करोड़ की राशि 20.17 लाख लाभार्थियों को हस्तांतरित कर दी गई — यह प्रणाली की त्वरितता और कुशलता का प्रमाण है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • SPARSH दुनिया की सबसे बड़ी रक्षा पेंशन प्रणाली है।
  • अब तक 31.54 लाख पेंशनभोगी इस प्रणाली से जुड़े हैं।
  • देशभर में 202 रक्षा लेखा विभाग कार्यालय, 4.63 लाख कॉमन सर्विस सेंटर, और 5200+ बैंक शाखाएँ SPARSH सेवा केंद्र के रूप में कार्यरत हैं।
  • OROP-III के तहत मात्र 15 दिन में ₹1,224.76 करोड़ का भुगतान किया गया।

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