RBI ने पेश किया वित्तीय समावेशन सूचकांक (Financial Inclusion Index)
भारतीय रिजर्व बैंक ने 17 अगस्त, 2021 को वित्तीय समावेशन सूचकांक (Financial Inclusion Index) पेश किया।
मुख्य बिंदु
- वित्तीय समावेशन सूचकांक का उपयोग भारत में वित्तीय समावेशन की सीमा का आकलन करने के लिए किया जाएगा।
- यह सूचकांक अप्रैल, 2021 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति में की गई घोषणाओं का हिस्सा था।
वित्तीय समावेशन सूचकांक (Financial Inclusion Index)
- वित्तीय समावेशन सूचकांक की अवधारणा एक व्यापक सूचकांक के रूप में की गई है जिसमें सरकार और क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से बैंकिंग, बीमा, निवेश, डाक और पेंशन क्षेत्र का विवरण शामिल है।
- यह 0 और 100 की सीमा में एक ही मूल्य में वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्राप्त करता है।
- 0 पूर्ण वित्तीय बहिष्करण (financial exclusion) को इंगित करता है जबकि 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन (complete financial inclusion) को इंगित करता है।
- इसमें पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता जैसे तीन व्यापक पैरामीटर शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक पैरामीटर में विभिन्न आयाम शामिल हैं, जिनकी गणना विभिन्न संकेतकों के आधार पर की जाती है।
- यह सभी 97 संकेतकों सहित सेवाओं की गुणवत्ता के साथ-साथ सेवाओं की पहुंच, उपलब्धता और उपयोग में आसानी के लिए उत्तरदायी है।
सूचकांक का आधार वर्ष
वित्तीय समावेशन सूचकांक बिना किसी आधार वर्ष के बनाया गया है। यह वित्तीय समावेशन की दिशा में सभी हितधारकों के संचयी प्रयासों को दर्शाता है। यह हर साल जुलाई में प्रकाशित होगा।