NATO देशों की रक्षा खर्च में ऐतिहासिक वृद्धि: 2035 तक GDP का 5% रक्षा क्षेत्र में निवेश का लक्ष्य

नाटो (NATO) ने 24 जून 2025 को हेग में हुई एक महत्वपूर्ण शिखर बैठक में रक्षा निवेश को लेकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब सदस्य देशों को वर्ष 2035 तक अपनी कुल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5% रक्षा और सुरक्षा से संबंधित क्षेत्रों में निवेश करना होगा। यह निर्णय अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा डाले गए दबाव और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं की पृष्ठभूमि में लिया गया है।

नया लक्ष्य: रक्षा और व्यापक सुरक्षा में विभाजित

इस 5% निवेश लक्ष्य को दो हिस्सों में बांटा गया है:

  • 3.5% GDP: परंपरागत रक्षा क्षेत्र जैसे सेना, हथियार प्रणाली और युद्ध तत्परता पर।
  • 1.5% GDP: साइबर सुरक्षा, सैन्य गतिशीलता के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार और ऊर्जा सुरक्षा जैसे व्यापक सुरक्षा निवेश पर।

यह बदलाव आधुनिक खतरों जैसे हाइब्रिड युद्ध, साइबर हमले, और आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है।

क्यों है यह निर्णय महत्वपूर्ण?

वर्तमान में नाटो के 32 सदस्य देशों में से केवल 22 ही 2% रक्षा व्यय के मौजूदा लक्ष्य को पूरा करते हैं। 2024 में कुल नाटो रक्षा खर्च 2.61% GDP रहा था। यदि सभी देश 3.5% का लक्ष्य पहले ही पूरा कर रहे होते, तो रक्षा व्यय $1.3 ट्रिलियन के बजाय $1.75 ट्रिलियन होता।
पोलैंड जैसे देश 4% से अधिक खर्च करते हैं, जबकि स्पेन मात्र 1.3% के नीचे है। स्पेन के प्रधानमंत्री ने नई घोषणा के बावजूद केवल 2.1% लक्ष्य को अपनाने की बात कही है, लेकिन नाटो ने स्पष्ट किया है कि इसमें कोई औपचारिक छूट नहीं होगी।

2029 में होगी समीक्षा

2035 तक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 2029 में एक औपचारिक समीक्षा की जाएगी, जिससे प्रगति का मूल्यांकन और संभावित संशोधन संभव हो सके।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • नाटो (North Atlantic Treaty Organization) की स्थापना 1949 में 12 देशों द्वारा की गई थी।
  • यह एक सामूहिक रक्षा गठबंधन है, जहां एक सदस्य पर हमले को सभी पर हमला माना जाता है (अनुच्छेद 5)।
  • वर्तमान में नाटो के 32 सदस्य हैं, जिनमें फिनलैंड (2023) और स्वीडन (2024) सबसे नए सदस्य हैं।
  • 2024 में नाटो का औसत रक्षा खर्च GDP का 2.61% था।

बढ़ते सुरक्षा खतरे और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता

नाटो महासचिव मार्क रुटे ने कहा कि “नाटो को एक ऐसे भविष्य के लिए तैयार रहना होगा जहां उसे और अधिक जिम्मेदारी उठानी पड़े।” रूस की आक्रामकता, यूक्रेन युद्ध, और अमेरिका द्वारा यूरोप से सैनिकों की संभावित वापसी जैसी परिस्थितियों ने इस निर्णय को मजबूती दी है।
यह निर्णय दर्शाता है कि नाटो अब न केवल पारंपरिक युद्ध की तैयारी कर रहा है, बल्कि साइबर हमलों और ऊर्जा आपूर्ति जैसे उभरते खतरों से भी निपटने के लिए तैयार हो रहा है। 5% लक्ष्य केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि सुरक्षा, तकनीक, रणनीति और सहयोग की दिशा में एक नई वैश्विक सोच का प्रतीक है।

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