MISHTI योजना के तहत भारत में मैंग्रोव संरक्षण को बढ़ावा: गुजरात अग्रणी, बंगाल पीछे

MISHTI योजना के तहत भारत में मैंग्रोव संरक्षण को बढ़ावा: गुजरात अग्रणी, बंगाल पीछे

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में घोषित “MISHTI” (Mangrove Initiative for Shoreline Habitats & Tangible Incomes) योजना ने देश में मैंग्रोव वनस्पति के पुनर्स्थापन और संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पिछले दो वर्षों में इस योजना के अंतर्गत देश भर में 22,560 हेक्टेयर भूमि को मैंग्रोव पुनर्स्थापन के लिए चिन्हित किया गया है, जिसमें से लगभग 85% अर्थात् 19,220 हेक्टेयर भूमि अकेले गुजरात में है।
इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव वनों का पुनरुद्धार कर जैव विविधता की रक्षा करना, प्राकृतिक आपदाओं से तटीय सुरक्षा देना और स्थानीय समुदायों की आजीविका को सुदृढ़ बनाना है।

गुजरात में बड़ा विस्तार, बंगाल में सीमित कार्य

जहाँ गुजरात ने MISHTI योजना को व्यापक स्तर पर अपनाते हुए अग्रणी भूमिका निभाई है, वहीं भारत में सर्वाधिक मैंग्रोव क्षेत्र वाले राज्य पश्चिम बंगाल में मात्र 10 हेक्टेयर भूमि पर ही यह योजना लागू की गई है। भारत के कुल 4,991 वर्ग किलोमीटर मैंग्रोव क्षेत्र में से 2,119 वर्ग किमी — यानी 42% — अकेले पश्चिम बंगाल में है। इसके विपरीत गुजरात का मैंग्रोव क्षेत्र 1,164 वर्ग किमी (23%) है।
तमिलनाडु (1,060 हेक्टेयर), आंध्र प्रदेश (837 हेक्टेयर) और ओडिशा (761 हेक्टेयर) जैसे अन्य राज्य भी इस योजना के अंतर्गत महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

मैंग्रोव का पारिस्थितिक महत्व और पीएम की सराहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मैंग्रोव के महत्व को रेखांकित करते हुए गुजरात के धोलेरा क्षेत्र का उदाहरण दिया, जहाँ पिछले पांच वर्षों में मैंग्रोव वृक्षारोपण से न केवल डॉल्फ़िन की संख्या में वृद्धि हुई है, बल्कि केकड़ों, मछलियों और प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति भी बढ़ी है। उन्होंने इसे पारिस्थितिकी तंत्र में सकारात्मक परिवर्तन का प्रमाण बताया।

पश्चिम बंगाल में अलग दृष्टिकोण की जरूरत

प्रकृति पर्यावरण और वन्यजीव समाज (NEWS) की अजन्ता डे ने बताया कि MISHTI योजना की अवधारणा का आधार वर्ष 2020 में पश्चिम बंगाल में बने बहु-हितधारक सहभागिता मॉडल पर आधारित है, जहाँ मनरेगा जैसी योजनाओं का उपयोग मैंग्रोव पुनर्स्थापन के लिए किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि सुंदरबन जैसे नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र में केवल नए पौधारोपण की बजाय, प्राकृतिक पुनर्जनन पर आधारित रणनीति अपनाने की ज़रूरत है।
उनके संगठन का “SAIME” मॉडल — Sustainable Aquaculture in Mangrove Ecosystems — हाल ही में वैश्विक स्तर पर सराहा गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि पश्चिम बंगाल सरकार को विभिन्न विभागों के साथ समन्वय कर ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना चाहिए जो मैंग्रोव के पर्यावरण सहायक पुनर्जनन को बढ़ावा दे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • MISHTI योजना की घोषणा केंद्रीय बजट 2023-24 में की गई और इसका शुभारंभ 5 जून 2023 को हुआ।
  • भारत में कुल मैंग्रोव क्षेत्र 4,991 वर्ग किमी है, जिसमें पश्चिम बंगाल का हिस्सा सबसे अधिक है।
  • मैंग्रोव वृक्ष तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक ‘बायो-शील्ड’ का कार्य करते हैं और चक्रवात, ज्वार और कटाव से रक्षा करते हैं।
  • MISHTI योजना 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है, जिसमें भूमि अधिग्रहण, पुनर्स्थापन और संवेदनशील तटीय पारिस्थितिकी की रक्षा का कार्य किया जा रहा है।

MISHTI जैसी योजनाएँ न केवल पारिस्थितिकी की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थानीय आजीविका और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं।

Originally written on October 28, 2025 and last modified on October 28, 2025.

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