“Many Languages, One Emotion”: भारतीय भाषा उत्सव 2025 में जनजातीय भाषाओं और तकनीक का संगम
महाकवि सुब्रमणिया भारती की जयंती के अवसर पर नई दिल्ली में भारतीय भाषा उत्सव 2025 का आयोजन किया गया, जिसका विषय था – “Many Languages, One Emotion”। इस उत्सव ने भारत की बहुभाषी विरासत को सम्मान देने के साथ-साथ जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल को भी मंच प्रदान किया।
जनजातीय भाषाओं और प्रकाशनों की प्रदर्शनी
जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित एक विशेष प्रदर्शनी स्टॉल में झारखंड, ओडिशा और गुजरात के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों की प्रकाशन सामग्री प्रदर्शित की गई। इसमें शब्दकोश, प्रारंभिक पुस्तिकाएँ, लोककथाएँ और शोध प्रबंध शामिल थे, जो जनजातीय समुदायों की मौखिक परंपराओं और भाषाई विविधता को रेखांकित करते हैं। यह प्रदर्शनी संकटग्रस्त भाषाओं के दस्तावेजीकरण की अहमियत को रेखांकित करती है।
“आदि वाणी”: भारत का पहला एआई-संचालित जनजातीय भाषा अनुवादक
इस उत्सव की प्रमुख आकर्षणों में से एक रहा “Adi Vaani”, जो भारत का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित जनजातीय भाषा अनुवादक है। इसे IIT दिल्ली के सहयोग से विकसित किया गया है और यह प्रमुख भारतीय भाषाओं और जनजातीय भाषाओं के बीच रीयल-टाइम टेक्स्ट और वॉयस अनुवाद करने में सक्षम है।
Adi Vaani फिलहाल जिन भाषाओं का समर्थन करता है, वे हैं: संताली, कूई, भीली, मुंडारी, गोंडी और गारो। इसके अतिरिक्त, सामुदायिक आवश्यकताओं के आधार पर इसे भविष्य में और अधिक भाषाओं के लिए विस्तारित किया जाएगा। यह टूल न केवल संवाद की सुविधा देता है बल्कि सीखने की इंटरऐक्टिव विशेषताएँ भी प्रदान करता है।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और एकता का संदेश
देशभर से आए विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया, जिनमें रंगारंग नृत्य, नुक्कड़ नाटक और जनजातीय जीवन पर आधारित प्रस्तुतियाँ शामिल थीं। खासतौर पर ईएमआरएस कालसी के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत नृत्य और नुक्कड़ नाटक ने सामाजिक चेतना और जनजातीय पहचान पर रोशनी डाली।
कार्यक्रम का भावनात्मक शिखर था 22 भारतीय भाषाओं में “वंदे मातरम्” का सामूहिक गायन, जिसने भारत की भाषाई एकता और विविधता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारतीय भाषा उत्सव 2025 का विषय था: “Many Languages, One Emotion”
- Adi Vaani: भारत का पहला AI-आधारित जनजातीय भाषा अनुवादक
- प्रारंभिक भाषाएँ: संताली, कूई, भीली, मुंडारी, गोंडी, गारो
- यह आयोजन महाकवि सुब्रमणिया भारती की जयंती पर किया गया
बहुभाषिक भारत की ओर एक समर्पण
यह आयोजन न केवल भाषाई विविधता का उत्सव था, बल्कि जनजातीय भाषाओं और सांस्कृतिक विरासत को प्रौद्योगिकी के माध्यम से संरक्षित और पुनर्जीवित करने का भी प्रयास था। शिक्षकों, शोधकर्ताओं और छात्रों की भागीदारी ने यह साबित किया कि भारत का भाषाई ताना-बाना तभी सशक्त होगा जब उसमें हर समुदाय की आवाज़ को स्थान मिले। Adi Vaani जैसे नवाचार भविष्य में भारत को एक समावेशी और बहुभाषिक राष्ट्र के रूप में और अधिक सशक्त बना सकते हैं।