ISRO की सेमी-क्रायोजेनिक इंजन टेस्टिंग में बड़ी सफलता, भारत की स्पेस ताकत को मिलेगा नया आयाम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 28 मई 2025 को महेन्द्रगिरि स्थित प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में अपने सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (PHTA) का तीसरा हॉट टेस्ट सफलतापूर्वक संपन्न किया। यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष अभियानों को नई दिशा देने की ओर एक और ठोस कदम है।

क्या है PHTA और इसका उद्देश्य?

PHTA इंजन का वह हिस्सा है जिसमें थ्रस्ट चैम्बर को छोड़कर बाकी सभी प्रमुख घटक शामिल होते हैं—जैसे कि प्री-बर्नर, लो और हाई प्रेशर टर्बो पंप, स्टार्ट सिस्टम और नियंत्रण प्रणालियाँ। इसका उद्देश्य इंजन की इग्निशन प्रक्रिया, प्रपेलेंट फीड प्रणाली और स्टार्ट-अप अनुक्रम को परखना होता है।

  • पहला परीक्षण: 28 मार्च 2025 (2.5 सेकंड, स्मूद इग्निशन)
  • दूसरा परीक्षण: 24 अप्रैल 2025 (3.5 सेकंड, स्टार्ट-अप अनुक्रम पर केंद्रित)
  • तीसरा परीक्षण: 28 मई 2025 (3 सेकंड, 60% शक्ति पर स्थिर संचालन)

क्या है सेमी-क्रायोजेनिक इंजन SE2000?

SE2000 इंजन ISRO के वर्तमान L110 लिक्विड कोर स्टेज को बदलने के लिए विकसित किया जा रहा है। यह इंजन लिक्विड ऑक्सीजन और स्पेस-ग्रेड केरोसीन पर आधारित है, जो न केवल गैर-विषैला है, बल्कि ज्यादा सुरक्षित और कार्यक्षम भी है। यह नया इंजन LVM3 लॉन्च व्हीकल की पेलोड क्षमता को 4 टन से बढ़ाकर 5 टन तक करने में सक्षम होगा।

प्रधानमंत्री ने किया टेस्टिंग फैसिलिटी का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवनंतपुरम में इस अत्याधुनिक इंजन टेस्ट फैसिलिटी का उद्घाटन किया। यह सुविधा फरवरी 2024 में प्रारंभ हुई और भारत के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

घरेलू उद्योगों की भागीदारी

SE2000 इंजन का निर्माण भारतीय उद्योगों के सहयोग से किया जा रहा है। इंजन हार्डवेयर, प्रोपेलेंट और तकनीकी सहयोग में देश की निजी कंपनियाँ भी भागीदारी कर रही हैं। इससे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिल रहा है और हाई-टेक निर्माण क्षमताओं में आत्मनिर्भरता विकसित हो रही है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • PHTA परीक्षण महेन्द्रगिरि स्थित ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में हुआ।
  • SE2000 इंजन 2000 kN थ्रस्ट क्लास का सेमी-क्रायोजेनिक इंजन है।
  • यह इंजन ISRO के LVM3 लॉन्च व्हीकल में लगाया जाएगा, जिससे GTO में पेलोड क्षमता 5 टन तक हो जाएगी।
  • SE2000 इंजन लिक्विड ऑक्सीजन और केरोसीन पर कार्य करता है।
  • सेमी-क्रायोजेनिक इंटीग्रेटेड इंजन टेस्ट फैसिलिटी (SIET) फरवरी 2024 में शुरू की गई थी।
  • भारत अब उन देशों की कतार में शामिल होने जा रहा है जो इतने उच्च थ्रस्ट वाले इंजन को स्वदेशी रूप से विकसित करने में सक्षम हैं।

ISRO की यह तकनीकी सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाली है। न केवल उपग्रह प्रक्षेपण की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि यह मानव अंतरिक्ष यात्रा और ग्रहों की खोज के लिए भारत को तैयार भी करेगी। आने वाले वर्षों में ISRO की यह नई पीढ़ी की प्रोपल्शन प्रणाली भारत को वैश्विक अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में निर्णायक साबित होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *