INS राजाली में समुद्री निगरानी पर संगोष्ठी: भारतीय नौसेना की समुद्री क्षमता को नई उड़ान

भारतीय नौसेना की पूर्वी कमान द्वारा आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी “लॉन्ग रेंज मेरीटाइम रिकॉनिसेंस (LRMR) प्लेटफॉर्म्स: एक विस्तारित जिम्मेदारी क्षेत्र में भारतीय समुद्री सामर्थ्य को सशक्त बनाना” का समापन INS राजाली, अरक्कोनम में हुआ। यह कार्यक्रम भारतीय समुद्री हितों की रक्षा में निगरानी तकनीकों की भूमिका पर केंद्रित था और नौसेना की बढ़ती क्षेत्रीय जिम्मेदारियों को दर्शाता है।
पी8आई विमान की 50,000 घंटे की उड़ान का जश्न
इस संगोष्ठी का मुख्य आकर्षण INAS 312 स्क्वाड्रन द्वारा पी8आई विमान पर 50,000 घंटे की उड़ान पूरी करने का जश्न था। यह भारतीय नौसेना विमानन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। INAS 312 स्क्वाड्रन INS राजाली से संचालित होता है और समुद्री क्षेत्रों में सतत निगरानी रखने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
आधुनिक तकनीकों की भूमिका पर विशेषज्ञ चर्चा
कार्यक्रम में Rear Admiral शंतनु झा, चीफ स्टाफ ऑफिसर (ऑपरेशन्स), ईस्टर्न नेवल कमान, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर एक विशेष लेख संग्रह (compendium) का विमोचन किया गया, जिसमें समुद्री निगरानी, लॉन्ग रेंज रिकॉनिसेंस प्लेटफॉर्म्स की भूमिका और भारतीय नौसेना की बदलती रणनीतिक दृष्टि पर लेख सम्मिलित थे।
पी8आई विमान और हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (HALE) ड्रोन जैसे MQ-9B Sea Guardian के माध्यम से भारतीय नौसेना भारतीय महासागर क्षेत्र और उससे आगे तक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम हुई है।
INS राजाली: समुद्री निगरानी का मुख्य केंद्र
पूर्वी समुद्री तट पर स्थित INS राजाली अब लॉन्ग रेंज मेरीटाइम रिकॉनिसेंस, पनडुब्बी रोधी युद्ध और बहु-डोमेन निगरानी का प्रमुख केंद्र बन चुका है। यहां से HALE ड्रोन MQ-9B Sea Guardian भी संचालित होते हैं, जो समुद्री सीमा की गहराई तक निगरानी और विश्लेषण की क्षमताएं प्रदान करते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- INAS 312 भारतीय नौसेना की लॉन्ग रेंज मेरीटाइम रिकॉनिसेंस स्क्वाड्रन है, जो पी8आई विमान संचालित करता है।
- INS राजाली भारत का सबसे बड़ा नौसैनिक हवाई स्टेशन है और यह तमिलनाडु के अरक्कोनम में स्थित है।
- MQ-9B Sea Guardian एक उन्नत HALE ड्रोन है, जो निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
- लॉन्ग रेंज मेरीटाइम रिकॉनिसेंस प्लेटफॉर्म्स का उद्देश्य समुद्री क्षेत्रों में गहराई तक निगरानी रखना और संभावित खतरे को समय रहते पहचानना होता है।