INS अरिघात से K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण: भारत की समुद्र आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मिली नई मजबूती
भारत ने INS अरिघात से K-4 परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण करके समुद्र आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता (Sea-based Nuclear Deterrence) को एक नया आयाम दिया है। यह परीक्षण बंगाल की खाड़ी में विशाखापत्तनम के तट से किया गया और यह भारत के परमाणु त्रिक (Nuclear Triad) को पूर्ण और अधिक विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
K-4 मिसाइल की विशेषताएँ और रणनीतिक महत्त्व
K-4 एक सॉलिड फ्यूल आधारित पनडुब्बी-प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 3,500 किमी तक है और यह दो टन तक का परमाणु भार ले जाने में सक्षम है।
इस मिसाइल का उद्देश्य है:
- समुद्र आधारित दूसरे प्रहार की क्षमता को सुनिश्चित करना
- भारत के न्यूनतम और विश्वसनीय प्रतिरोधक सिद्धांत को मजबूत करना
- परमाणु त्रिक का सबसे सुरक्षित और टिकाऊ अंग (SSBN) सक्रिय करना
हालांकि कोई आधिकारिक रक्षा मंत्रालय का बयान जारी नहीं हुआ, लेकिन सूत्रों के अनुसार परीक्षण सफल रहा और इसका विस्तृत तकनीकी मूल्यांकन किया जा रहा है।
INS अरिघात और परमाणु पनडुब्बियों की भूमिका
INS अरिघात भारत की दूसरी न्यूक्लियर-पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) है, जो 29 अगस्त 2024 को नौसेना में शामिल की गई थी। यह 6,000 टन वजनी पनडुब्बी Strategic Forces Command द्वारा संचालित की जाती है।
INS अरिघात के पहले INS अरिहंत को 2018 में पूर्ण परिचालन स्थिति प्राप्त हुई थी, लेकिन वह केवल 750 किमी रेंज वाली K-15 मिसाइल ले जाने में सक्षम है। K-4 का यह परीक्षण INS अरिघात से किया गया पहला समुद्र से प्रक्षेपण है, जो पहले केवल डूबे हुए पोंटून प्लेटफार्मों से परीक्षण किया गया था।
भविष्य की योजनाएँ: नई पनडुब्बियाँ और मिसाइलें
भारत की योजना है कि:
- INS अरिधमान को 2026 की पहली तिमाही में नौसेना में शामिल किया जाए
- चौथी SSBN पनडुब्बी को 2027–28 तक चालू किया जाए
- इन उन्नत पनडुब्बियों का वज़न 7,000 टन से अधिक होगा
- दीर्घकालिक योजना के अंतर्गत 13,500 टन वजनी SSBNs विकसित की जा रही हैं, जिनमें अधिक शक्तिशाली रिएक्टर लगे होंगे
इसके अलावा, K-4 के बाद K-5 और K-6 मिसाइलें भी विकसित की जा रही हैं जिनकी रेंज 5,000–6,000 किमी होगी। ये अगली पीढ़ी की मिसाइलें भारत को वैश्विक परमाणु शक्तियों के करीब लाएंगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
• K-4 एक पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है, जिसकी रेंज 3,500 किमी है।
• INS अरिघात, Advanced Technology Vessel (ATV) Programme के तहत भारत की दूसरी SSBN पनडुब्बी है।
• SSBN (Submersible Ship Ballistic Nuclear) परमाणु त्रिक का सबसे सुरक्षित घटक माना जाता है।
• भारत की परमाणु नीति “No First Use” (पहला प्रयोग नहीं) सिद्धांत पर आधारित है।
भारत की परमाणु प्रतिरोधक नीति और रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत के पास पहले से ही भूमि आधारित (Agni मिसाइलें) और वायु आधारित (परमाणु हथियार ले जाने वाले लड़ाकू विमान) परमाणु क्षमताएं मौजूद हैं। लेकिन SSBNs जैसे प्लेटफॉर्म ही असली Second-Strike Capability प्रदान करते हैं, जिससे दुश्मन के पहले हमले के बाद भी जवाबी हमला सुनिश्चित किया जा सके।
INS अरिघात से K-4 का सफल परीक्षण भारत की परमाणु त्रिक को और अधिक विश्वसनीय बनाता है, और रणनीतिक स्थिरता के लिहाज से एक निर्णायक उपलब्धि है।