Inno-Yoddha 2025: भारतीय थलसेना की सैनिक-केंद्रित नवाचार पहल

Inno-Yoddha 2025: भारतीय थलसेना की सैनिक-केंद्रित नवाचार पहल

भारतीय थलसेना ने नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ केंद्र में वार्षिक आइडिया एवं इनोवेशन प्रतियोगिता और सेमिनार “इन्नो-युद्धा 2025” का सफल आयोजन किया। उपथलसेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेन्द्र पाल सिंह की उपस्थिति में आयोजित यह कार्यक्रम थलसेना की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिसके माध्यम से वह अपने ही सैन्य कर्मियों की नवाचार क्षमता को प्रोत्साहित कर आधुनिक युद्धक्षमता, लॉजिस्टिक्स और प्रशिक्षण को अधिक सुदृढ़ बनाती है। यह पहल जमीनी अनुभव पर आधारित समाधान विकसित करने का अवसर देती है, जिससे सेना की कार्यकुशलता नई ऊंचाइयों को प्राप्त करती है।

सैनिक-चालित नवाचार का प्रमुख मंच

इन्नो-युद्धा थलसेना की वह प्रमुख पहल है जिसमें सैनिकों को, जो प्रतिदिन अत्यंत कठिन भौगोलिक परिस्थितियों, चरम जलवायु और बदलती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करते हैं, अपने अनुभव के आधार पर व्यावहारिक और तकनीक-आधारित समाधान तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सेना मानती है कि वास्तविक चुनौतियों को सर्वोत्तम रूप से वही समझते हैं जो सीधे मैदान में कार्यरत हैं। इस कारण यह प्रतियोगिता समस्या-समाधान की ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देती है जो जमीन से जुड़े तथ्यों और सैनिकों के व्यावसायिक ज्ञान पर आधारित होती है।

नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की उल्लेखनीय उपलब्धियाँ

पिछले पाँच वर्षों में इन्नो-युद्धा मंच के माध्यम से 117 विचारों का चयन किया जा चुका है, जिनमें से 47 को उत्पाद के रूप में विकसित किया गया है और नौ प्रोटोटाइप वर्तमान में मूल्यांकन की प्रक्रिया में हैं। थलसेना ने 30 बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) भी दायर किए हैं, जो नवाचार को संस्थागत आधार प्रदान करते हैं। पांच प्रमुख नवाचारों को उद्योगों के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ToT) के रूप में साझा किया गया है, जिनमें एक्सप्लोडर, अग्निअस्त्र, विद्युत रक्षक, बाज अटैक ड्रोन तथा एक मल्टी-परपज़ ऑक्टाकॉप्टर शामिल हैं। ये उपलब्धियाँ दर्शाती हैं कि सैनिक-चालित नवाचार अब रक्षा विनिर्माण और तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रमुख स्तंभ बनते जा रहे हैं।

2025–26 संस्करण की प्रमुख झलकियाँ

नवंबर से दिसंबर 2025 के बीच आयोजित इन्नो-युद्धा 2025–26 संस्करण को सेना की विभिन्न शाखाओं से रिकॉर्ड 89 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। कठोर मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद 32 श्रेष्ठ नवाचारों का चयन किया गया, जिन्हें उपथलसेनाध्यक्ष द्वारा सम्मानित किया गया। चयनित नवाचार अब आगे परिष्करण, कठोरता-परीक्षण और संभावित IPR दायर करने की प्रक्रिया से गुजरेंगे। यदि ये सभी चरण सफल रहते हैं, तो इनके औद्योगिक उत्पादन और सैन्य उपकरणों में एकीकरण का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बल मिलेगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • इन्नो-युद्धा भारतीय थलसेना की प्रमुख सैनिक-केंद्रित नवाचार प्रतियोगिता है।
  • 2025–26 संस्करण में 89 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं और 32 नवाचार चुने गए।
  • पिछले पाँच वर्षों में 117 विचार चयनित हुए, जिनमें से 47 उत्पादित किए गए हैं।
  • सेना के पाँच नवाचारों को उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ToT) प्रदान किया गया है।

इन्नो-युद्धा 2025 ने यह सिद्ध किया है कि थलसेना न केवल आधुनिकरण की दिशा में अग्रसर है, बल्कि वह सैनिकों की तकनीकी रचनात्मकता को रक्षा नवाचार का प्रमुख स्रोत मानती है। लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेन्द्र पाल सिंह द्वारा नवप्रवर्तकों की सराहना इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सेना भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप स्वयं को निरंतर विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह मंच थलसेना को तकनीकी रूप से सक्षम, परिचालनिक रूप से निर्णायक और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।

Originally written on December 8, 2025 and last modified on December 8, 2025.

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