IMF ने UPI को दुनिया का सबसे बड़ा रिटेल फास्ट-पेमेंट सिस्टम घोषित किया
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपनी जून 2025 की रिपोर्ट में भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को लेन-देन की मात्रा के आधार पर दुनिया का सबसे बड़ा रिटेल फास्ट-पेमेंट सिस्टम घोषित किया है। यह उपलब्धि भारत की डिजिटल भुगतान क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की पुष्टि करती है, जो सशक्त नीतिगत समर्थन और व्यापक व्यापारी अपनाने की बदौलत संभव हुई है।
वैश्विक स्तर पर UPI की अग्रणी भूमिका
IMF की रिपोर्ट के अनुसार, UPI अब न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक रीयल-टाइम ट्रांजैक्शन करने वाला प्लेटफॉर्म बन गया है। ACI Worldwide की 2024 की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया कि वैश्विक रीयल-टाइम भुगतान लेनदेन में UPI की हिस्सेदारी लगभग 49% है, जो ब्राज़ील, थाईलैंड, चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से कहीं अधिक है।
सरकारी पहल और नियामकीय समर्थन
UPI के व्यापक विस्तार में भारत सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की संयुक्त पहलों की बड़ी भूमिका रही है। BHIM-UPI जैसे माध्यमों से छोटे लेन-देन को प्रोत्साहन, साथ ही पेमेंट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड (PIDF) के ज़रिये डिजिटल अवसंरचना में निवेश ने छोटे शहरों में भी डिजिटल भुगतान को सुगम बनाया है। अक्टूबर 2025 तक टियर-3 से टियर-6 शहरों में 5.45 करोड़ से अधिक डिजिटल टचप्वाइंट्स स्थापित किए जा चुके हैं।
व्यापारी नेटवर्क और इकोसिस्टम का विस्तार
वित्त वर्ष 2024–25 तक भारत में लगभग 57 करोड़ QR कोड्स के ज़रिए 6.5 करोड़ से अधिक व्यापारियों को डिजिटल भुगतान प्रणाली में जोड़ा गया है। UPI अब सार्वजनिक सेवाओं, ई-कॉमर्स, परिवहन और छोटे खुदरा व्यवसायों तक पहुंच चुका है। इसके परिणामस्वरूप, भारत ने 129.3 बिलियन रीयल-टाइम लेनदेन दर्ज किए, जो वैश्विक कुल का लगभग आधा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- IMF ने 2025 में UPI को दुनिया का सबसे बड़ा फास्ट-पेमेंट सिस्टम घोषित किया।
- UPI वैश्विक रीयल-टाइम भुगतान में लगभग 49% की हिस्सेदारी रखता है।
- भारत में 129.3 बिलियन रीयल-टाइम लेनदेन दर्ज हुए।
- PIDF योजना के तहत 5.45 करोड़ से अधिक डिजिटल टचप्वाइंट्स लगाए गए।
वैश्विक डिजिटल भुगतान परिदृश्य में UPI का प्रभाव
UPI की सफलता का श्रेय इसकी इंटरऑपरेबिलिटी, सुलभता और स्केलेबिलिटी को जाता है। इसका डिज़ाइन समावेशी है और यह विभिन्न बैंकों, ऐप्स और सेवाओं के बीच सहज समन्वय की सुविधा देता है। अब कई देश भारत के UPI मॉडल को अपनाने और दोहराने पर विचार कर रहे हैं, जिससे यह तकनीक एक वैश्विक मानक बनती जा रही है।
UPI न केवल भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाता है कि मजबूत नीति, नवाचार और जन-भागीदारी के माध्यम से कोई भी राष्ट्र वैश्विक मंच पर अग्रणी भूमिका निभा सकता है।