HIRE अधिनियम: अमेरिका की नई संरक्षणवादी नीति और भारत के आईटी और छात्र हितों पर प्रभाव

अमेरिका में हाल ही में पेश किया गया HIRE अधिनियम (Halting International Relocation of Employment Act) भारत के आईटी उद्योग और अमेरिका में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यह विधेयक अमेरिकी नौकरियों को विदेशों में स्थानांतरित करने से रोकने के उद्देश्य से लाया गया है, लेकिन इसके प्रभाव कहीं अधिक गहरे और जटिल हैं।
HIRE अधिनियम का सारांश
- 25% टैक्स: किसी भी अमेरिकी कंपनी या करदाता द्वारा विदेशी व्यक्ति को भुगतान की गई सेवा राशि पर 25% कर लगाया जाएगा।
- कर कटौती पर रोक: ऐसे भुगतान पर कंपनियाँ आयकर में कटौती नहीं कर पाएंगी।
- Domestic Workforce Fund: इस कर से अर्जित धनराशि का उपयोग अमेरिका में अप्रेंटिसशिप और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स में किया जाएगा।
भारतीय आईटी उद्योग के लिए संभावित प्रभाव
भारत का आईटी उद्योग, जिसकी 60% आय निर्यात से आती है, HIRE अधिनियम से सीधे प्रभावित होगा:
- लागत में वृद्धि: इस अधिनियम से अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय सेवाएं 60% तक महंगी हो जाएंगी।
- छोटे आईटी कंपनियों पर भारी असर: जहां बड़ी कंपनियां लागत समायोजन कर सकती हैं, वहीं मझोली और लघु कंपनियां इससे बुरी तरह प्रभावित होंगी।
- ऑनशोर शिफ्टिंग की मजबूरी: अमेरिकी कंपनियां भारत जैसे देशों से सेवाएं लेने की बजाय स्थानीय कर्मचारियों को नियुक्त करने पर मजबूर होंगी।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए चिंता का विषय
HIRE अधिनियम की “foreign person” की व्यापक परिभाषा में अमेरिका में F1 वीजा पर पढ़ाई कर रहे छात्र, विशेषकर Optional Practical Training (OPT) पर कार्यरत लोग भी आ सकते हैं:
- यदि ये छात्र इस श्रेणी में आते हैं, तो उनके वेतन पर भी 25% कर लगाया जा सकता है।
- इससे न केवल उनकी नौकरी पाने की संभावनाएं घटेंगी, बल्कि कंपनियों के लिए उन्हें हायर करना आर्थिक रूप से नुकसानदेह हो सकता है।
अमेरिका में STEM टैलेंट की कमी
अमेरिका के लिए यह स्थिति भी चुनौतीपूर्ण होगी क्योंकि:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और सेमीकंडक्टर डिज़ाइन जैसे क्षेत्रों में स्थानीय टैलेंट की भारी कमी है।
- भारतीय छात्र, विशेष रूप से आईआईटी और अमेरिका की शीर्ष यूनिवर्सिटीज़ से स्नातक, सांस्कृतिक रूप से अनुकूल और तकनीकी रूप से दक्ष होते हैं।
- आउटसोर्सिंग और अंतरराष्ट्रीय टैलेंट ने ही अब तक अमेरिकी तकनीकी कंपनियों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त सुनिश्चित की है।
भारत के लिए रणनीतिक सबक
- छात्र विकल्पों में विविधता: अमेरिका पर अत्यधिक निर्भरता से बचते हुए कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी जैसे विकल्पों की ओर रुख करना।
- आईटी क्षेत्र में उन्नयन: भारत को केवल सेवा प्रदाता नहीं, बल्कि गहरे तकनीकी नवाचार (Deep Tech), एआई, बायोटेक और आरएंडडी में निवेश करना चाहिए।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- HIRE अधिनियम अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर बर्नी मोरेनो द्वारा सितंबर 2025 में प्रस्तुत किया गया।
- भारत में लगभग 4.2 लाख छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं।
- अमेरिकी कंपनियां पहले से ही हाइब्रिड मॉडल (ऑनशोर + ऑफशोर) पर काम करती रही हैं।
- अमेरिकी श्रम बाजार में STEM क्षेत्र की पूर्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों की जरूरत बनी हुई है।