H-1B वीजाधारकों पर $100,000 एंट्री फीस: भारतीय प्रोफेशनल्स और छात्रों के लिए नई चुनौती

H-1B वीजाधारकों पर $100,000 एंट्री फीस: भारतीय प्रोफेशनल्स और छात्रों के लिए नई चुनौती

21 सितंबर से प्रभावी हुए एक नए अमेरिकी राष्ट्रपति प्रोक्लेमेशन ने भारतीय आईटी पेशेवरों और छात्रों के बीच चिंता की लहर दौड़ा दी है। इस आदेश के तहत, अमेरिका में प्रवेश करने वाले नए H-1B वीजाधारकों को अब $100,000 की प्रवेश शुल्क चुकानी होगी। हालांकि, यह नियम पहले से अमेरिका में रह रहे या वीजा विस्तार करवा रहे लोगों पर लागू नहीं होगा।

किन पर लागू होता है यह नया नियम?

व्हाइट हाउस की रैपिड रिस्पॉन्स टीम के अनुसार, यह आदेश केवल उन भविष्य के आवेदकों पर लागू होता है जो फरवरी 2026 की लॉटरी में हिस्सा लेंगे और वर्तमान में अमेरिका के बाहर हैं। जो लोग 2025 की लॉटरी में भाग ले चुके हैं या जिनके पास पहले से वैध वीजा है, उन्हें इस फीस से छूट दी गई है।

मौजूदा H-1B धारकों के लिए क्या मायने?

यदि कोई व्यक्ति पहले से वैध H-1B वीजा रखता है और अमेरिका में रह रहा है, तो इस पर नए शुल्क का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा — चाहे वह कंपनी बदल रहा हो, वीजा का विस्तार करवा रहा हो या स्टेटस बदल रहा हो। हालांकि, जो लोग अमेरिका से बाहर जाकर वापस आने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए स्थिति थोड़ी जटिल हो सकती है, खासकर यदि वीजा पुनः मुहर लगवाना पड़े।

क्या यह फीस एक बार की है या हर साल देनी होगी?

वकीलों के अनुसार, वर्तमान प्रोक्लेमेशन के अनुसार यह $100,000 शुल्क हर बार अमेरिका में प्रवेश के समय देय होगा, यानी यदि कोई व्यक्ति साल में दो बार भी यात्रा करता है, तो उसे हर बार शुल्क देना पड़ सकता है। कुछ विशेषज्ञ इसे सालाना भुगतान के रूप में भी देख रहे हैं, लेकिन इस पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है।

छात्रों और संभावित पेशेवरों पर प्रभाव

जो भारतीय छात्र अमेरिका में F-1 वीजा पर पढ़ाई कर रहे हैं और वहीं रहते हुए H-1B में परिवर्तन करना चाहते हैं, उन पर यह शुल्क लागू नहीं होगा। लेकिन यदि कोई छात्र भारत में रहकर H-1B लॉटरी में चयनित होता है, तो उसे अमेरिका में प्रवेश के समय यह शुल्क देना होगा।
यह नीति खासतौर पर उन कंपनियों को प्रभावित कर सकती है जो भारत से नई भर्तियाँ करती हैं, क्योंकि यह लागत उनके लिए भारी साबित हो सकती है। इससे कंपनियाँ वैकल्पिक वीजा जैसे L-1 या O-1 की ओर झुक सकती हैं, हालांकि इनकी अपनी सीमाएँ और प्रतिबंध हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • H-1B वीजा: अमेरिकी कंपनियों द्वारा विदेशी विशेषज्ञों को नियुक्त करने के लिए प्रयुक्त एक अस्थायी कार्य वीजा।
  • प्रेसिडेंशियल प्रोक्लेमेशन: यह कोई कानून नहीं होता, लेकिन यह कार्यकारी आदेश के रूप में सरकारी एजेंसियों पर लागू होता है।
  • F-1 से H-1B रूपांतरण: अमेरिका में रह रहे छात्रों को रूपांतरण के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा।
  • सेक्योरिटी जस्टिफिकेशन: राष्ट्रपति का यह आदेश ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के नाम पर दिया गया है, जिससे उन्हें सीमित कानूनी शक्ति प्राप्त होती है।
Originally written on September 22, 2025 and last modified on September 22, 2025.

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