GST के आठ साल: तंबाकू कर ढांचे पर पुनर्विचार की जरूरत

वर्ष 2025 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के आठ साल पूरे होने पर यह उपयुक्त समय है कि हम इस ऐतिहासिक कर सुधार की अब तक की यात्रा की समीक्षा करें, इसकी प्रगति को मजबूत करें और इसके भविष्य की दिशा को स्पष्ट करें। GST ने पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है, अनुपालन को सरल बनाया है और राजस्व आधार को व्यापक किया है। लेकिन हालिया बहसों में यह सवाल भी उठाया गया है कि क्या वर्तमान GST ढांचा तंबाकू जैसे संवेदनशील उत्पादों के लिए पर्याप्त रूप से प्रभावी है।

तंबाकू पर कर और उसके प्रभाव

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है और यह वैश्विक निर्यात में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। तंबाकू उद्योग से 4.5 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका जुड़ी है और यह हर साल ₹72,000 करोड़ से अधिक का कर राजस्व और ₹12,000 करोड़ का विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
हालांकि, यह भी तथ्य है कि उच्च कर तंबाकू उत्पादों की खपत को कम करने का एक सिद्ध उपाय माना जाता है। परंतु, अति-कर निर्धारण से वैध उत्पाद महंगे हो जाते हैं, जिससे उपभोक्ता सस्ते, करमुक्त, अवैध और निम्न गुणवत्ता वाले विकल्पों की ओर मुड़ते हैं। इससे न केवल उपभोक्ताओं का स्वास्थ्य अधिक खतरे में पड़ता है, बल्कि एक समानांतर काली अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।

अवैध व्यापार की चुनौती

भारत में 2023 में तंबाकू उत्पादों की अवैध बिक्री 33.2 अरब सिगरेट तक पहुंच गई, जो कुल बाजार का 25% से अधिक है। 2024 की पहली छमाही में ₹250 करोड़ मूल्य की तस्करी की गई सिगरेट जब्त की गई, जबकि पूरे वर्ष का अनुमान ₹600 करोड़ तक है। वैश्विक अध्ययनों के अनुसार, जब्ती की गई मात्रा, वास्तविक तस्करी का केवल 3-4% होती है — इससे अवैध बाजार का अनुमानित आकार ₹17,000 से ₹23,000 करोड़ के बीच पहुंचता है।
इस तस्करी का असर न केवल राजस्व हानि तक सीमित है, बल्कि यह देश की सुरक्षा और रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। FICCI के अनुसार, 2019-20 में अवैध व्यापार के कारण 3.7 लाख लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ। साथ ही, इससे उत्पन्न मुनाफा कई बार आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण में भी प्रयुक्त होता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • GST की शुरुआत: 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया।
  • भारत में तंबाकू उद्योग: 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को आजीविका, ₹72,000 करोड़ वार्षिक कर राजस्व।
  • अवैध सिगरेट बाजार: 2023 में 33.2 अरब स्टिक, कुल बाजार का 25%।
  • FICCI रिपोर्ट (2022): अवैध व्यापार से 3.7 लाख नौकरियों की हानि।

कर संरचना में सुधार के सुझाव

  • स्पेसिफिक टैक्स की वापसी: वर्तमान में GST मूल्य-आधारित है, लेकिन तंबाकू जैसे उत्पादों में अवमूल्यन की प्रवृत्ति के कारण विशिष्ट कर (specific duty) ज्यादा उपयुक्त है। 1987 में भारत ने इसी कारण मूल्य-आधारित कर से हटकर विशिष्ट कर प्रणाली अपनाई थी, जिससे पारदर्शिता और पूर्वानुमान क्षमता में वृद्धि हुई थी।
  • वैश्विक उदाहरण: 2008 में 54 देशों ने मूल्य-आधारित कर प्रणाली अपनाई थी, लेकिन 2022 तक केवल 34 देश ही इस मॉडल पर टिके रहे। यूके, स्वीडन, थाईलैंड जैसे देशों ने विशिष्ट या हाइब्रिड मॉडल अपनाया।
  • GST मुआवजा उपकर: इसे 2026 तक समाप्त किया जाना प्रस्तावित है। इसे जारी रखने का कोई वैकल्पिक मॉडल अपनाया जाए तो उसे कर भार में वृद्धि नहीं करनी चाहिए।
  • प्रवर्तन में तकनीकी मजबूती: तस्करी रोकने के लिए प्रवर्तन एजेंसियों को अत्याधुनिक तकनीक और सख्त दंड प्रावधानों से लैस करना आवश्यक है।

निष्कर्ष

GST की आठवीं वर्षगांठ पर यह स्पष्ट है कि अब समय आ गया है कि हम तंबाकू कर व्यवस्था को दीर्घकालिक, संतुलित और व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखें। कर स्थिरता केवल अच्छी अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि राष्ट्र-निर्माण की आवश्यकता भी है। एक ऐसा कर ढांचा जो राजस्व सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और रोजगार को संतुलित कर सके — वही ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को साकार करने में सहायक होगा।

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