GRSE ने नौसेना को पांचवां युद्धपोत सौंपा: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम

GRSE ने नौसेना को पांचवां युद्धपोत सौंपा: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने 2025 में भारतीय नौसेना को अपना पांचवां युद्धपोत “अंजद्वीप” सौंप कर देश की स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमता और समुद्री तैयारियों को और मज़बूती दी है। यह उपलब्धि न केवल GRSE की उत्पादन क्षमता को दर्शाती है, बल्कि रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में हो रहे प्रगति को भी उजागर करती है।

अंजद्वीप: तटीय रक्षा में नया जोश

“अंजद्वीप” एक एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW SWC) है, जिसे पूरी तरह से देश में डिजाइन और निर्मित किया गया है। यह आठ नियोजित जहाजों की श्रृंखला का तीसरा पोत है, जिसे चेन्नई पोर्ट पर पूर्वी नौसेना कमान को सौंपा गया। यह GRSE द्वारा निर्मित 115वां और भारतीय नौसेना को सौंपा गया 77वां युद्धपोत है।

“अंजद्वीप” को तटीय उपसतही निगरानी, खोज और आक्रमण अभियानों तथा विमानों के साथ समन्वित पनडुब्बी रोधी ऑपरेशनों के लिए तैयार किया गया है। इस युद्धपोत में स्वदेशी 30 मिमी नौसेना गन, हल्के टॉरपीडो, एंटी-सबमरीन रॉकेट और युद्ध प्रबंधन प्रणाली से सुसज्जित किया गया है। इसका लगभग 88 प्रतिशत भाग स्वदेशी है, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत संकेत है।

एक ही वर्ष में पाँच युद्धपोत: असाधारण उपलब्धि

“अंजद्वीप” से पहले GRSE ने इस वर्ष जिन चार युद्धपोतों की आपूर्ति की, वे हैं: गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट “हिमगिरी”, दो अन्य ASW SWCs “अर्नाला” और “अंद्रोथ”, तथा सर्वे वेसल (लार्ज) “इक्षाक”। ये सभी पोत पहले ही सक्रिय नौसैनिक सेवा में शामिल हो चुके हैं। एक ही वर्ष में पांच जटिल नौसेना प्लेटफॉर्म्स की डिलीवरी भारत में दुर्लभ उपलब्धि मानी जाती है और यह परियोजना प्रबंधन में दक्षता और औद्योगिक क्षमता में सुधार को दर्शाती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

• GRSE रक्षा मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई (Defence PSU) है।
• ASW SWCs तटीय उथले जल में संचालन के लिए अनुकूलित किए जाते हैं।
• “आत्मनिर्भरता” भारत की रक्षा उत्पादन में स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ाने की पहल है।
• भारतीय नौसेना तीन कमानों के अंतर्गत संचालित होती है: पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी।

भविष्य की परियोजनाएँ और विस्तार

वर्तमान में GRSE 12 और युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है, जिनमें दो प्रोजेक्ट 17A स्टेल्थ फ्रिगेट, पाँच अतिरिक्त ASW SWCs, एक सर्वे वेसल (लार्ज) और चार नेक्स्ट जेनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स (NGOPVs) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, GRSE अंतरराष्ट्रीय और नागरिक आदेशों पर भी कार्य कर रहा है, जिससे इसकी वैश्विक उपस्थिति और बढ़ रही है। कंपनी चालू वित्त वर्ष में पाँच अगली पीढ़ी के कार्वेट्स का अनुबंध भी अंतिम रूप देने की दिशा में अग्रसर है।

यह सब भारत को समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक जहाज निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने की दिशा में ठोस कदम हैं। GRSE देश की समुद्री शक्ति का एक प्रमुख स्तंभ बनता जा रहा है।

Originally written on December 23, 2025 and last modified on December 23, 2025.

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