G7 शिखर सम्मेलन: ट्रंप के रूसी झुकाव से गुटीय एकता पर संकट

कनाडा के कनानास्किस में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में विश्व के सात प्रमुख लोकतांत्रिक देशों के नेता एक मंच पर आए हैं, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूस समर्थक बयानों ने सम्मेलन की प्रारंभिक एकता को चुनौती दी है। ट्रंप ने पूर्व में रूस को जी8 से हटाए जाने को “बड़ी गलती” बताया और कहा कि यदि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को समूह से बाहर नहीं किया गया होता, तो 2022 में यूक्रेन पर हमला नहीं होता।

रूस को लेकर ट्रंप की टिप्पणी से यूक्रेन पर रणनीति असमंजस में

प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ खड़े होकर ट्रंप ने दावा किया कि पुतिन अब केवल उन्हीं से बात करते हैं और उन्हें जी8 से बाहर किए जाने पर अभी भी नाराज़गी है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की जी7 नेताओं से हथियारों की आपूर्ति और समर्थन की मांग को लेकर मिलने जा रहे हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्रंप के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने पुतिन को इज़राइल और ईरान के बीच मध्यस्थ की भूमिका देने की बात कही थी। मैक्रों ने कहा, “जो देश अवैध युद्ध शुरू करता है, वह मध्यस्थ नहीं हो सकता।”

एकीकृत घोषणापत्र पर संदेह, अमेरिका की सहमति अनिश्चित

2018 में क्यूबेक में हुई जी7 बैठक की तरह इस बार भी कोई संयुक्त घोषणापत्र तैयार नहीं किया गया है, जिससे अमेरिका द्वारा अंतिम क्षणों में समर्थन वापस लिए जाने की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। हालांकि, प्रवासन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और खनिज आपूर्ति शृंखलाओं पर कई ड्राफ्ट तैयार किए गए हैं, लेकिन अमेरिका ने किसी पर भी अंतिम सहमति नहीं दी है।
यूरोपीय देशों का रुख स्पष्ट और एकजुट है, लेकिन ट्रंप के बिना कोई भी अंतिम घोषणा संदेहास्पद है। सम्मेलन के अगले सत्रों में ज़ेलेंस्की और नाटो महासचिव मार्क रूटे से चर्चा के साथ-साथ अगले सप्ताह नाटो शिखर सम्मेलन को भी अमेरिकी रुख को प्रभावित करने का मंच माना जा रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • जी7 में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं, साथ ही यूरोपीय संघ भी प्रतिभागी है।
  • रूस को 2014 में क्रीमिया के विलय के बाद जी8 से बाहर किया गया था।
  • 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था।
  • इज़राइल-ईरान संघर्ष के बीच ईंधन की कीमतों में अस्थायी वृद्धि हुई है, जिससे रूसी तेल पर मूल्य सीमा तय करने की योजना प्रभावित हुई है।
  • 2018 में ट्रंप ने जी7 घोषणापत्र से अमेरिका की मंजूरी वापस ले ली थी।

इस वर्ष का जी7 सम्मेलन रूस, यूक्रेन और ईरान-इज़राइल संघर्ष जैसे वैश्विक संकटों के बीच हो रहा है। लेकिन ट्रंप की रूस समर्थक नीतियों और बहुपक्षीय सहयोग से हटने की प्रवृत्ति ने समूह के बीच मतभेद उजागर कर दिए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यूरोपीय नेता ट्रंप को कठोर रुख अपनाने के लिए राजी कर पाते हैं, या फिर यह सम्मेलन भी कूटनीतिक असहमति की एक और मिसाल बनकर रह जाएगा।

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