DHRUVA: भारत का यूनिक डिजिटल डिजिटल एड्रेस इंफ्रास्ट्रक्चर
भारत सरकार का डाक विभाग, संचार मंत्रालय के अधीन, अब पते (Address) को भी एक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। DHRUVA यानी “Digital Hub for Reference and Unique Virtual Address” के माध्यम से पारंपरिक भौतिक पते को सुरक्षित, सत्यापित और मानकीकृत डिजिटल एड्रेस आईडेंटिफायर में बदला जाएगा। इसका उद्देश्य देशभर में सरकारी और निजी सेवाओं का वितरण अधिक तेज, सटीक और पारदर्शी बनाना है।
ध्रुवा क्या है और कैसे काम करेगा
DHRUVA एक राष्ट्रीय Digital Address Digital Public Infrastructure (DPI) के रूप में कल्पित किया गया है, जो “Address as a Service (AaaS)” मॉडल पर आधारित है। इसके तहत प्रत्येक भौतिक पते को एक डिजिटल एड्रेस आइडेंटिफायर (Digital Address Identifier–DAI) दिया जाएगा, जो उस पते की जियोकोडेड जानकारी और पोस्टकोड से जुड़ा होगा। उपयोगकर्ता किसी भी सेवा प्रदाता – जैसे ई-कॉमर्स, बैंक, लॉजिस्टिक कंपनी या सरकारी पोर्टल – के साथ यही डिजिटल एड्रेस साझा करेगा, जिससे बार-बार लंबा पता लिखने की आवश्यकता कम होगी और पते की गलतियों के कारण होने वाली देरी भी घटेगी।
इस प्रणाली की बुनियाद पहले से विकसित “Digital Postal Index Number (DIGIPIN)” पर टिकी है, जो 10 अक्षरांकीय (alphanumeric) कोड के रूप में किसी स्थान के सटीक लैटीट्यूड-लॉन्गिट्यूड को दर्शाता है। DIGIPIN लगभग 4×4 या 14 वर्ग मीटर के छोटे भू-भाग तक लोकेशन को निर्दिष्ट कर सकता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों, झुग्गियों या अनौपचारिक बस्तियों जैसे स्थानों के लिए भी अत्यंत सटीक पता पहचान संभव होगी।
कानूनी आधार: डाकघर अधिनियम, 2023 में संशोधन
DHRUVA ढांचे को कानूनी वैधता देने के लिए डाक विभाग ने Post Office Act, 2023 में संशोधन का मसौदा तैयार किया है। ये प्रस्तावित संशोधन डिजिटल एड्रेस के निर्माण, प्रबंधन और उपयोग के लिए वैधानिक ढांचा बनाते हैं। इसके तहत विभिन्न पक्षों के अधिकार और दायित्व तय किए जाएंगे, जैसे कि कौन संस्था डिजिटल पता जारी कर सकती है, कौन उसे सत्यापित कर सकती है, और डेटा के उपयोग की सीमा क्या होगी। साथ ही सहमति (consent), डेटा सुरक्षा, दुरुपयोग की स्थिति में दंड तथा शिकायत निवारण की स्पष्ट व्यवस्थाएं भी जोड़ी जाएंगी।
मसौदा संशोधन पर सार्वजनिक टिप्पणी आमंत्रित की गई है और नागरिक, उद्योग संगठनों व अन्य हितधारक ईमेल के माध्यम से अपने सुझाव भेज सकते हैं। यह प्रक्रिया नीति-निर्माण को अधिक सहभागी और जवाबदेह बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
प्रमुख घटक: DAI, सेवा प्रदाता और नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर
DHRUVA पारिस्थितिकी तंत्र में कई संस्थागत घटक प्रस्तावित हैं। सबसे पहले, प्रत्येक पते से जुड़ा Digital Address Identifier (DAI) होगा, जो DIGIPIN और पते की वर्णनात्मक जानकारी (जैसे मकान संख्या, सड़क, लैंडमार्क) से लिंक रहेगा। इसके ऊपर एक “डिजिटल लेबल” या UPI-जैसा हैंडल (जैसे name@entity) बनाया जा सकता है, जिसे उपयोगकर्ता विभिन्न प्लेटफॉर्म पर दर्ज करेगा।
दूसरा, Address Service Providers (ASPs) का पंजीकरण होगा जो ये डिजिटल लेबल जारी और प्रबंधित करेंगे। तीसरा, Address Validation Agencies (AVAs) अथवा Address Information Agents जैसी संस्थाएं होंगी जो पते की सत्यता, जियोकोडिंग और सहमति-आधारित डेटा एक्सेस को संभालेंगी। इन सबके ऊपर एक राष्ट्रीय Network Administrator बनाया जाएगा, जिसे NPCI की तर्ज पर सेक्शन-8, नॉट-फॉर-प्रॉफ़िट इकाई के रूप में कल्पित किया जा रहा है, जो इंटरऑपरेबिलिटी, मानक तय करने, और तकनीकी उन्नयन की निगरानी करेगा।
शासन, गोपनीयता और नागरिक सुरक्षा
DHRUVA ढांचा पूरी तरह सहमति-आधारित (consent-based) उपयोग पर जोर देता है। किसी भी ई-कॉमर्स कंपनी, बैंक या सरकारी एजेंसी को उपयोगकर्ता के सटीक लोकेशन या पूर्ण पते तक पहुंचने से पहले उसकी स्पष्ट अनुमति लेनी होगी, और यह अनुमति समयबद्ध होगी। अनुमत अवधि समाप्त होने पर उस संस्था की एक्सेस स्वतः समाप्त हो जाएगी। इससे निजी कंपनियों द्वारा अनावश्यक ट्रैकिंग और डेटा संग्रह पर रोक लगेगी तथा नागरिक का लोकेशन-डेटा उसके ही नियंत्रण में रहेगा।
साथ ही, प्रस्तावित संशोधनों में एक सुदृढ़ गवर्नेंस आर्किटेक्चर की बात है, जिसमें शिकायत निवारण, अपील, और उल्लंघन की स्थिति में दंडात्मक प्रावधान शामिल हैं। यह मॉडल आधार, UPI और DigiLocker की तरह डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है, जो ई-गवर्नेंस, शहरी नियोजन, आपदा प्रबंधन, डिलीवरी लॉजिस्टिक्स और वित्तीय समावेशन को नई गति दे सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- DHRUVA का पूरा नाम Digital Hub for Reference and Unique Virtual Address है।
- यह “Address as a Service (AaaS)” मॉडल पर आधारित भारत का पहला राष्ट्रीय Digital Address DPI है।
- वैधानिक आधार के लिए Post Office Act, 2023 में संशोधन का मसौदा जारी किया गया है।
- DHRUVA की बुनियाद Digital Postal Index Number (DIGIPIN) नामक जियोकोडेड एड्रेस प्रणाली पर टिकी है।
DHRUVA पहल यदि सफलतापूर्वक लागू होती है, तो यह भारत में पते की अवधारणा को ही बदल सकती है। वंचित और दुर्गम क्षेत्रों तक सटीक लोकेशन-आधारित सेवाएं पहुंचाने, ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स की लागत घटाने, और सरकारी योजनाओं की लक्षित डिलीवरी सुनिश्चित करने में इसका बड़ा योगदान हो सकता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी यह विषय महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह डिजिटल गवर्नेंस, सार्वजनिक अवसंरचना और डाक सुधार – तीनों को जोड़ने वाली एक समकालीन पहल है।