DGP नियुक्ति के लिए ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ लागू: पारदर्शिता और समयबद्ध प्रक्रिया की दिशा में केंद्र का बड़ा कदम

भारत सरकार ने 22 अप्रैल 2025 से राज्यों के लिए पुलिस महानिदेशक (DGP)/राज्य पुलिस बल प्रमुख (HoPF) की नियुक्ति हेतु ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ लागू कर दिया है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार मामले में दिए गए दिशा-निर्देशों और गृह मंत्रालय (MHA) के परिपत्रों का पालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
क्या है ‘सिंगल विंडो सिस्टम’?
यह एक मानकीकृत प्रणाली है जिसमें प्रस्ताव भेजने के लिए विस्तृत चेकलिस्ट और सरल फॉर्मेट प्रदान किए गए हैं। इसका उद्देश्य है:
- नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाना
- राज्यों द्वारा भेजे जाने वाले प्रस्तावों में विसंगतियाँ रोकना
- UPSC द्वारा जल्दी और सुगमता से पैनल तैयार किया जाना
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में आदेश दिया था कि DGP की नियुक्ति UPSC द्वारा बनाए गए तीन वरिष्ठतम अधिकारियों के पैनल से ही होनी चाहिए।
- उम्मीदवार अधिकारी के पास न्यूनतम 6 माह की सेवा शेष होनी चाहिए और प्रस्ताव तीन माह पहले भेजा जाना चाहिए।
- केंद्र ने सिंगल विंडो प्रणाली में सचिव स्तर के अधिकारी को यह प्रमाणित करने के लिए कहा है कि पैनल में शामिल DGP स्तर के अधिकारियों के पास न्यूनतम कार्यकाल की पात्रता है।
- गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि जिन प्रस्तावों में बड़ी त्रुटियाँ होंगी, उन्हें तत्काल लौटा दिया जाएगा।
तमिलनाडु में प्रक्रिया में देरी
तमिलनाडु में 30 अगस्त 2025 को DGP शंकर जिवाल के सेवानिवृत्त होने के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक UPSC को प्रस्ताव नहीं भेजा है। सूत्रों के अनुसार, दो ऐसे अधिकारियों को भी विचार के लिए शामिल किया गया, जिनके पास आवश्यक 6 माह का अवशेष कार्यकाल नहीं है। हालाँकि, सिंगल विंडो प्रणाली के तहत यह प्रस्ताव सचिव द्वारा सत्यापित होने पर ही मान्य होगा।
अंततः, आठ अधिकारी पैनल के लिए पात्र माने गए हैं, जिनमें से UPSC द्वारा सीनियरिटी क्रम में तीन नाम – सीमा अग्रवाल, राजीव कुमार और संदीप राय राठौर – केंद्र सरकार को भेजे जाएँगे।