DeFi और आतंकवाद: वित्तीय नवाचार में छिपे खतरों पर भारत को सतर्क रहने की जरूरत

डिजिटल और विकेंद्रीकृत वित्तीय प्रणालियाँ (DeFi) आज विश्व भर में आर्थिक सेवाओं के स्वरूप को नया रूप दे रही हैं। परंतु इस प्रगति के साथ-साथ एक गंभीर चिंता भी उभर रही है — DeFi का दुरुपयोग आतंकवाद जैसे गैरकानूनी गतिविधियों में। हाल के घटनाक्रमों ने यह स्पष्ट किया है कि यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह नवाचार राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।

DeFi: नवाचार और चुनौती का मेल

DeFi यानी विकेंद्रीकृत वित्त, एक ऐसी प्रणाली है जो पारंपरिक बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की भूमिका को हटाकर ब्लॉकचेन, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स और D-Apps (डिसेंट्रलाइज्ड एप्स) के ज़रिए वित्तीय सेवाएं प्रदान करती है। यह प्रणाली डिजिटल वॉलेट्स के माध्यम से कार्य करती है, जहां उपयोगकर्ता बिना किसी पहचान सत्यापन के खाते बना सकते हैं और सीधे लेन-देन कर सकते हैं। इसका मुख्य लाभ वित्तीय समावेशन, पारदर्शिता, कम लागत और वैश्विक पहुंच है।
लेकिन इसी लचीलापन और गुमनामी की वजह से यह प्रणाली अपराधियों, आतंकवादियों और धोखेबाजों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है।

आतंकवाद और DeFi की काली छाया

2023 में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स और अन्य संस्थानों ने यह चेतावनी दी थी कि DeFi की असंरचित प्रकृति और इसकी स्वशासित व्यवस्थाएं (जैसे कि DAO – Decentralised Autonomous Organisations) इसे आपराधिक गतिविधियों के लिए बेहद संवेदनशील बनाती हैं। आतंकवादी संगठन वित्त एकत्र करने, नेटवर्क बढ़ाने और अवैध ढांचे खड़े करने के लिए DeFi का उपयोग कर रहे हैं।
इस प्रणाली में कोई केंद्रीय निगरानी संस्था नहीं होती, जिससे संदिग्ध लेन-देन को ट्रैक करना कठिन हो जाता है। क्रिप्टो मिक्सर्स, अलग-अलग वॉलेट्स और गुमनाम टूल्स का इस्तेमाल कर आतंकवादी अपने धन का स्रोत छुपा सकते हैं, जिससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती और बढ़ जाती है।

भारत की स्थिति और आवश्यक रणनीति

भारत DeFi के उपयोग में विश्व में तीसरे स्थान पर है, लेकिन इसका अंतिम राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन 2022 में हुआ था। FATF और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों ने भारत को अपनी जोखिम मूल्यांकन प्रणाली को व्यापक और सार्वजनिक रूप से साझा करने की सिफारिश की है।
हालांकि UPI और ‘JAM’ ट्रिनिटी जैसे घरेलू डिजिटल नवाचारों ने वित्तीय समावेशन में बड़ी भूमिका निभाई है, परंतु DeFi की सीमा-रहित प्रकृति भारत के लिए सुरक्षा खतरे उत्पन्न कर सकती है, विशेष रूप से जब देश पहले से ही आतंकवाद के निशाने पर हो।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • DeFi का वैश्विक बाजार 2024 में $30.07 बिलियन था और 2029 तक इसके $178.63 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है।
  • 2025 में सक्रिय DeFi उपयोगकर्ताओं की संख्या 1.42 करोड़ वॉलेट्स तक पहुँच गई है।
  • भारत 2024 के ग्लोबल क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स में DeFi मूल्य के हिसाब से तीसरे स्थान पर है।
  • FATF की 2023 की रिपोर्ट में DeFi को लेकर वैश्विक नियामकीय अस्पष्टता और अनुपालन की चुनौती को उजागर किया गया।

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