COP30 में भारत की रणनीति: न्याय, वित्त और तकनीकी की प्राथमिकता
जलवायु परिवर्तन के प्रति वैश्विक प्रयासों की दिशा तय करने वाले 30वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP30) की मेज़बानी ब्राज़ील के बेलें शहर में होने जा रही है। इस सम्मेलन की खास बात यह है कि यह पेरिस समझौते की दसवीं वर्षगांठ पर आयोजित हो रहा है। जहां ब्राज़ील अपने वन संरक्षण मॉडल को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने जा रहा है, वहीं भारत एक स्पष्ट रणनीति के साथ न्याय, वित्त और तकनीकी हस्तांतरण को प्राथमिकता देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
ब्राज़ील का वन संरक्षण मॉडल और नई पहल
ब्राज़ील ने वर्ष 2024 में अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 17 प्रतिशत की कटौती दर्ज की, जो पिछले 16 वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। यह सफलता मुख्यतः अमेज़न और सेराडो क्षेत्रों में वनों की कटाई पर नियंत्रण से संभव हुई। इस उपलब्धि को आधार बनाते हुए ब्राज़ील ने “ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फंड” नामक एक स्थायी बहुपक्षीय वित्त पोषण प्रणाली प्रस्तावित की है, जो उष्णकटिबंधीय देशों को वन संरक्षण के बदले वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा इस सम्मेलन को “क्रियान्वयन का COP” बनाना चाहते हैं — जहां घोषणाओं के बजाय ठोस नतीजों और दीर्घकालिक वित्तीय ढांचे पर ध्यान दिया जाए।
भारत की प्राथमिकताएं: अनुकूलन और वित्त पर जोर
भारत का दृष्टिकोण इस सम्मेलन में साफ है — नए उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों की बजाय जलवायु अनुकूलन, वित्तीय सहायता और तकनीकी हस्तांतरण को केंद्र में लाना। भारतीय प्रतिनिधिमंडल इस बात पर जोर देगा कि अनुकूलन सूचकांक प्रत्येक देश की राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप हों, और विकासशील देशों को सज़ा देने के उपकरण न बनें।
साथ ही, “वैश्विक अनुकूलन लक्ष्य (GGA)” को लचीला बनाए रखने की भारत की मांग होगी ताकि यह विविध राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुकूल रहे। डेटा संप्रभुता के मुद्दे पर भी भारत अपनी स्पष्ट स्थिति प्रस्तुत करेगा।
नई वित्तीय प्रतिबद्धता की आवश्यकता
भारत के लिए एक प्रमुख एजेंडा बिंदु है “नई सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य (NCQG)” की स्थापना, जो $100 बिलियन प्रतिवर्ष की अधूरी वित्तीय प्रतिबद्धता की जगह लेगा। भारत की मांग है कि यह नया लक्ष्य पारदर्शी, पूर्वानुमानित और ऋणरहित हो, जिससे विकासशील देशों पर बोझ न बढ़े, बल्कि वास्तविक क्रियान्वयन को बल मिले।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- COP30 का आयोजन ब्राज़ील के बेलें शहर में हो रहा है, जो पेरिस समझौते की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर है।
 - ब्राज़ील ने 2024 में अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 17% की गिरावट दर्ज की है।
 - “ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फंड” वैश्विक स्तर पर वनों की रक्षा के लिए स्थायी वित्तीय मॉडल का प्रस्ताव है।
 - भारत COP30 में अनुकूलन, वित्त और तकनीकी स्थानांतरण को अपनी प्राथमिकताएं बना रहा है।
 
नैतिकता, विज्ञान और सतत जीवनशैली की साझी सोच
ब्राज़ील द्वारा प्रस्तावित “वैश्विक नैतिक समीक्षा” (Global Ethical Stocktake), जो विज्ञान को नैतिक और जीवनशैली आयामों से जोड़ने की बात करता है, भारत के “मिशन LiFE” (Lifestyle for Environment) से मेल खाता है। दोनों देश मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में व्यवहारिक परिवर्तन अत्यंत आवश्यक है।
भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता 2014 के 81 GW से बढ़कर 2025 में 236 GW हो चुकी है, जो उसकी सतत विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, भले ही वित्तीय चुनौतियां बनी हुई हों।