BioE3 नीति के तहत भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर क्या प्रयोग करने वाला है?

BioE3 नीति के तहत भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर क्या प्रयोग करने वाला है?

भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई BioE3 (Biotechnology for Economy, Environment & Employment) नीति के तहत एक ऐतिहासिक पहल की है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि भारत पहली बार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जैविक प्रयोग करेगा, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थायित्व का अध्ययन करना है। यह प्रयोग AXIOM-4 मिशन के तहत किया जाएगा, जिसमें भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी चालक दल के सदस्य होंगे ।

प्रयोग 1: खाद्य माइक्रोएल्गी पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण और विकिरण का प्रभाव

पहला प्रयोग खाद्य माइक्रोएल्गी की वृद्धि पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण और अंतरिक्ष विकिरण के प्रभाव का अध्ययन करेगा। माइक्रोएल्गी, जैसे कि क्लोरेला और स्पाइरुलिना, प्रोटीन, लिपिड और बायोएक्टिव यौगिकों से भरपूर होती हैं, जो दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए पोषण का एक स्थायी स्रोत बन सकती हैं। इनका तेज़ जीवन चक्र और उच्च प्रकाश संश्लेषण क्षमता उन्हें अंतरिक्ष में ऑक्सीजन उत्पादन और कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण के लिए उपयुक्त बनाती है ।

प्रयोग 2: सायनोबैक्टीरिया के माध्यम से अपशिष्ट पुनर्चक्रण और पोषण

दूसरा प्रयोग सायनोबैक्टीरिया, जैसे कि स्पाइरुलिना और साइनोकोकस, की वृद्धि और प्रोटिओमिक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करेगा। यह प्रयोग यूरिया और नाइट्रेट आधारित माध्यमों में किया जाएगा, जिससे यह समझा जा सके कि अंतरिक्ष में मानव अपशिष्ट से कार्बन और नाइट्रोजन को कैसे पुनर्चक्रित किया जा सकता है। स्पाइरुलिना को “सुपरफूड” माना जाता है, क्योंकि यह प्रोटीन और विटामिन से भरपूर होती है, और अंतरिक्ष में पोषण के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकती है ।

ISRO, DBT और NASA का त्रिपक्षीय सहयोग

ये प्रयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और NASA के संयुक्त प्रयास से किए जा रहे हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय आनुवंशिक इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (ICGEB), नई दिल्ली के वैज्ञानिक भी इस परियोजना में शामिल हैं। यह सहयोग भारत को वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है ।

DBT-ICGEB बायोफाउंड्री: नवाचार का केंद्र

डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में नई दिल्ली में DBT-ICGEB बायोफाउंड्री का उद्घाटन किया, जो जैव प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए एक अत्याधुनिक सुविधा है। यह केंद्र “डिज़ाइन, बिल्ड, टेस्ट और लर्न” (DBTL) चक्र पर कार्य करता है, जिसमें AI, बिग डेटा, कंप्यूटेशनल बायोलॉजी और बायोइन्फॉर्मेटिक्स का उपयोग किया जाता है। यह बायोफाउंड्री खाद्य, कृषि, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स और ऊर्जा क्षेत्रों के लिए जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के विकास में सहायक होगी ।

BioE3 नीति: भारत की जैव प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्व की दिशा

BioE3 नीति का उद्देश्य उच्च प्रदर्शन जैव निर्माण को बढ़ावा देना है। यह नीति छह प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है: जैव-आधारित रसायन और एंजाइम, स्मार्ट प्रोटीन और कार्यात्मक खाद्य पदार्थ, सटीक चिकित्सीय, जलवायु-प्रतिरोधी कृषि, कार्बन कैप्चर और उपयोग, और समुद्री एवं अंतरिक्ष अनुसंधान। इस नीति के तहत भारत न केवल अपनी जैव प्रौद्योगिकी क्षमताओं को बढ़ा रहा है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है ।

Originally written on May 16, 2025 and last modified on May 16, 2025.

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