Annual Death Penalty Report, 2022 जारी की गई

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (National Law University) की स्थापना 2007 के NLUA अधिनियम के तहत की गई थी। प्रोजेक्ट 39A (Project 39A) विश्वविद्यालय से जुड़ा एक समूह है और इसने हाल ही में Annual Death Penalty Report, 2022 नामक एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मृत्युदंड कैदियों की संख्या 2022 में बढ़कर 539 हो गई। 2021 में यह संख्या 490 थी।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- ट्रायल कोर्ट द्वारा 3% मौत की सजा का फैसला किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने 11 मौत की सजा सुनाई और देश के उच्च न्यायालयों ने 68 मौत की सजा सुनाई।
- अपीलीय अदालतों ने सबसे कम मौत की सजा सुनाई।
- सभी अपराधों में, यौन हिंसा से सम्बंधित अपराधों में अधिकतम मौत की सजा मिली। लगभग एक-तिहाई मृत्युदंड यौन हिंसा के लिए थे।
- गुजरात में 51 लोगों को सेशन कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी।
- उत्तर प्रदेश सत्र न्यायालय: 32
- झारखंड सत्र न्यायालय: 17
- जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, तेलंगाना और मणिपुर की अदालतों में मौत की सजा नहीं सुनाई गई।
- हर 165 लोगों में से दो मौत की सजा महिलाओं को दी गई।
- 2022 तक भारत में 539 मौत की सजा पाने वाले कैदी हैं। यह 2015 की संख्या की तुलना में 40% की वृद्धि है।
- उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मौत की सजा के बाद गुजरात और झारखंड का नंबर आता है।
Originally written on
January 30, 2023
and last modified on
January 30, 2023.