ईरान के परमाणु संधि से संभावित हटने की चेतावनी: NPT विवाद और वैश्विक प्रतिक्रिया

ईरान की संसद ने 16 जून 2025 को घोषणा की कि वह एक प्रस्ताव पर काम कर रही है, जिसके तहत इस्लामिक लोकतंत्र परमाणु अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty – NPT) से बाहर निकल सकता है। यह निर्णय ऐसे समय पर सामने आया है जब संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी एजेंसी (IAEA) ने ईरान को उसके संधि-आधारित दायित्वों के उल्लंघन का दोषी ठहराया और इज़राइल ने 13 जून को ईरान पर सैन्य हमले शुरू कर दिए।
NPT: उद्देश्य और सदस्यता
- उद्देश्य: 1970 में प्रभावी हुई यह संधि परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने, शांतिपूर्ण उपयोग के लिए परमाणु ऊर्जा के अधिकार को सुनिश्चित करने, और परमाणु संपन्न देशों को अपने हथियारों को चरणबद्ध ढंग से समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु बनाई गई थी।
- परमाणु संपन्न देश: अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस (पूर्व सोवियत संघ से अधिकार प्राप्त)।
- कुल सदस्य देश: 191
- गैर-सदस्य देश: भारत, पाकिस्तान और इज़राइल—इन तीनों ने कभी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए। उत्तर कोरिया ने 1985 में हस्ताक्षर किए लेकिन 2003 में हट गया।
ईरान और NPT: वर्तमान विवाद
- ईरान 1970 से NPT का सदस्य है और दावा करता है कि उसका यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।
- लेकिन IAEA ने 31 मई 2025 की रिपोर्ट के आधार पर 13 जून को ईरान को उसके दायित्वों के उल्लंघन का दोषी ठहराया।
- रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने 2019 से कई स्थानों पर पाए गए यूरेनियम के अघोषित अंशों को लेकर स्पष्ट और समयबद्ध स्पष्टीकरण नहीं दिया।
ईरान की प्रतिक्रिया और संभावित निष्कासन
- ईरान के विदेश मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा संगठन ने IAEA की रिपोर्ट को राजनीति प्रेरित बताया।
- प्रवक्ता ने कहा कि, “हालिया घटनाओं के आलोक में, हम उचित निर्णय लेंगे। संसद के प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय सरकार और संसद में समन्वय के बाद होगा।”
- यदि ईरान संधि से बाहर होता है, तो उसे तीन माह पूर्व सूचना देनी होगी, जो NPT की धारा 10 में निर्दिष्ट है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- NPT की धारा 10 सदस्य देशों को “असाधारण परिस्थितियों में” संधि छोड़ने का अधिकार देती है।
- NPT की अगली समीक्षा बैठक 2026 में निर्धारित है, जो हर पांच वर्षों में होती है।
- 2006 से ईरान पर प्रतिबंध लगे हैं, जिनमें यूरेनियम संवर्धन न रोकने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तहत लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध भी शामिल हैं।
- 2015 का परमाणु समझौता (JCPOA)—ईरान और P5+1 देशों के बीच हुआ था, जिससे प्रतिबंध हटाने के बदले ईरान ने परमाणु गतिविधियों पर सीमाएं स्वीकार की थीं। अमेरिका 2018 में इससे बाहर हो गया था।
वैश्विक तनाव और सुरक्षा चिंताएं
इज़राइल और ईरान के बीच हालिया मिसाइल हमलों और सैन्य कार्रवाई से पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है। यदि ईरान NPT से बाहर होता है, तो इससे न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा होगा, बल्कि वैश्विक परमाणु सुरक्षा व्यवस्था को भी गहरा आघात पहुंचेगा।
NPT के बाहर जाना ईरान को उत्तर कोरिया जैसी स्थिति में ला सकता है—जहां उस पर और अधिक कड़े प्रतिबंध और अंतरराष्ट्रीय अलगाव लादे जाएंगे। हालांकि ईरान ने आधिकारिक रूप से हथियार निर्माण का कोई इरादा नहीं जताया है, लेकिन संधि से हटना अंतरराष्ट्रीय विश्वास को चोट पहुंचा सकता है।
इस परिस्थिति में वैश्विक कूटनीति की भूमिका अहम होगी—चाहे वह संयुक्त राष्ट्र, IAEA, या फिर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष अमेरिका-ईरान वार्ताएं हों। यही प्रयास विश्व को एक और परमाणु संकट से बचा सकते हैं।