2027 में होगा भारत का पहला डिजिटल और जाति-आधारित जनगणना: जानिए प्रमुख पहलू

भारत सरकार ने घोषणा की है कि देश की अगली जनगणना 1 मार्च, 2027 को की जाएगी, जो स्वतंत्र भारत की पहली डिजिटल जनगणना और पहली जातिनिर्धारित जनगणना भी होगी। यह जनगणना 16 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद हो रही है, क्योंकि पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि 2021 की प्रस्तावित जनगणना COVID-19 के कारण स्थगित हो गई थी।
दो चरणों में होगी जनगणना
जनगणना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा:
- हाउस लिस्टिंग और आवास अनुसूची
- जनसंख्या गणना (जिसमें जातियों की गणना भी शामिल होगी)
इन चरणों को 1 अप्रैल 2026 से 28 फरवरी 2027 तक 11 महीनों में पूरा किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले क्षेत्रों के लिए गणना की संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 होगी, जबकि शेष भारत के लिए यह 1 मार्च 2027 रहेगी।
क्या है जातिगत जनगणना?
इस बार जनगणना में सभी जातियों की गणना की जाएगी। अभी तक केवल अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की ही गणना होती थी। इसके लिए डेटा एंट्री एप में एक नया ‘कास्ट ड्रॉप बॉक्स’ जोड़ा जाएगा।
जनगणना में उपयोग होगी मोबाइल ऐप और स्वयं गणना
- जनगणना के लिए 30 लाख गणनाकर्ताओं को मोबाइल ऐप पर नए सिरे से प्रशिक्षित किया जाएगा।
- स्वयं गणना (self-enumeration) की सुविधा भी मिलेगी, लेकिन यह केवल उन्हीं परिवारों के लिए होगी जिन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को ऑनलाइन अपडेट किया है।
NPR और NRC पर स्थिति
हालांकि NPR अपडेट को पहले चरण में किया जाना था, लेकिन सरकार ने इस बार इसके बारे में कोई घोषणा नहीं की है। NPR को NRC की दिशा में पहला कदम माना जाता है, जिससे कई विपक्ष-शासित राज्यों ने असहमति जताई है।
राजनीतिक प्रभाव: सीटों का परिसीमन और महिलाओं का आरक्षण
- 2027 की जनगणना 2026 के बाद पहला जनसांख्यिकीय आंकड़ा होगा, जिस पर लोकसभा और विधानसभाओं के सीट परिसीमन आधारित होंगे।
- महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की प्रभावी तिथि भी इस परिसीमन अभ्यास के बाद ही लागू होगी।
- 84वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2001 के तहत, वर्तमान संसदीय सीटें 1971 की जनगणना पर आधारित हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- जनगणना अधिनियम: 1948
- पिछली जनगणना: 2011
- अब तक का सबसे लंबा अंतराल: 16 वर्ष
- स्वतंत्र भारत की पहली जाति आधारित जनगणना: 2027
- NPR की जनसंख्या: 119 करोड़
- महिला आरक्षण कानून: लागू तभी होगा जब नई जनगणना आधारित परिसीमन किया जाएगा