25 दिसम्बर : मदन मोहन मालवीय जयंती

25 दिसम्बर, 1861 को महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म हुआ था। स्वतंत्रता आन्दोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वे तीन बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। उन्हें महामना के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने 1916 में वाराणसी में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना की थी। उन्हें भारत सरकार ने 2015 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया था।

मदन मोहन मालवीय

पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को इलाहबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। उन्होंने मुइर सेंट्रल कॉलेज (अब इलाहबाद विश्वविद्यालय) से अपनी मेट्रिक की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी.ए. की पढ़ाई पूरी की।

दिसम्बर, 1886 में मदन मोहन मालवीय ने कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दूसरे सत्र में हिस्सा लिया। मदन मोहन मालवीय कांग्रेस में नरम दल के नेता थे। उन्होंने असहयोग आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वे 1909, 1918 और 1932-33 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। महात्मा गाँधी ने उन्हें “महामना” की उपाधि दी थी। पंडित मदन मोहन मालवीय ने वकालत की पढ़ाई करने के बाद क्रांतिकारियों के पक्ष में कई मुकद्दमे लड़े और उनमे सफल भी रहे।

मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता में काफी सक्रिय थे। 1887 में उन्होंने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत “हिन्दोस्तान” नामक हिंदी दैनिक समाचार पत्र से की। 1889 में वे “इंडियन ओपिनियन” के संपादक बने। 1907 में उन्होंने स्वयं हिंदी साप्ताहिक पत्रिका “अभ्युदय” की शुरुआत की। 1910 में उन्होंने “मर्यादा” नामक हिंदी समाचार पत्र की शुरुआत की। 1924 में उन्होंने लाला लाजपत राय, एम. आर. जयकर तथा घनश्याम दास बिरला की सहायता से हिंदुस्तान टाइम्स का अधिग्रहण किया और इसे बंद होने से बचाया। वे 1924 से 1946 तक हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक रहे। उनके प्रयासों से 1936 में हिंदुस्तान टाइम्स का हिंदी संस्करण “हिंदुस्तान” शुरू किया गया। पंडित मदन मोहन मालवीय का निधन 12 नवम्बर, 1946 को इलाहबाद में हुआ था।

Originally written on December 25, 2021 and last modified on December 25, 2021.

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