2031 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय $5,000 पार: उपभोग आधारित विकास की ओर बढ़ता देश

2031 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय $5,000 पार: उपभोग आधारित विकास की ओर बढ़ता देश

भारत एक बड़े आर्थिक परिवर्तन की दहलीज पर खड़ा है, जहां आने वाले वर्षों में उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था का नया अध्याय खुलने वाला है। हाल ही में फ्रैंकलिन टेम्पलटन की रिपोर्ट “Beyond Necessities: India’s Affluence-Driven Growth” के अनुसार, भारत की प्रति व्यक्ति आय 2031 तक $5,000 को पार कर जाएगी। यह परिवर्तन न केवल आय में वृद्धि को दर्शाता है, बल्कि उपभोक्ता व्यवहार, जीवनशैली और बाजार के ढांचे में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला है।

बढ़ती आय और जीवनशैली खर्च में वृद्धि

वित्त वर्ष 2025 में भारत की प्रति व्यक्ति आय पहले ही $2,600 के आंकड़े को पार कर चुकी है और अगले छह वर्षों में इसके दोगुना होने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत एक ऐसे “समृद्धि प्रेरणा क्षेत्र” में प्रवेश कर रहा है जहां उपभोग की प्रवृत्ति आवश्यकताओं से आगे बढ़कर आकांक्षात्मक वस्तुओं और सेवाओं की ओर मुड़ती है। जैसे-जैसे अधिक परिवार उच्च आय वर्ग में पहुंचेंगे, वैकल्पिक और विलासिता आधारित खर्च कुल खपत में अधिक हिस्सा लेने लगेगा।

संपत्ति निर्माण और समृद्ध वर्ग का विस्तार

शेयर बाजार, अचल संपत्ति और सोना जैसे निवेश साधन घरों की संपत्ति निर्माण में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, जिससे उपभोक्ता आत्मविश्वास और खर्च की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। वर्ष 2010 में जहां केवल 11.1 प्रतिशत परिवार उच्च-मध्यम या समृद्ध वर्ग में आते थे, वहीं 2035 तक यह आंकड़ा बढ़कर 24 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। यानी हर चौथा भारतीय परिवार ऐसे वर्ग में होगा जो अपनी इच्छाओं पर खुलकर खर्च कर सकेगा।

प्रीमियम उत्पादों की ओर झुकाव

जैसे-जैसे आय का स्तर बढ़ेगा, उपभोक्ता अधिक गुणवत्ता और ब्रांड मूल्य को प्राथमिकता देंगे। वर्तमान में कुल उपभोग में गैर-जरूरी वस्तुओं का हिस्सा लगभग 36 प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 2030 तक 43 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। उदाहरण के तौर पर, प्रीमियम डिटर्जेंट 26 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहे हैं, जबकि सामान्य डिटर्जेंट केवल 7 प्रतिशत की दर से। इसी प्रकार, ग्रीन टी की खपत 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जबकि सामान्य चाय 10 प्रतिशत की दर से।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • 2031 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय $5,242 तक पहुंचने का अनुमान है।
  • समृद्ध परिवारों की संख्या 2010 के 11.1% से बढ़कर 2035 में 24% तक हो सकती है।
  • गैर-जरूरी उपभोग वित्त वर्ष 2030 तक 43% तक बढ़ सकता है।
  • प्रीमियम उत्पादों की वृद्धि दर सामान्य उत्पादों की तुलना में तीन गुना तेज़ है।

आर्थिक विकास का नया आधार: समृद्धि

भारत की कुल बचत का लगभग 85 प्रतिशत शीर्ष 20 प्रतिशत परिवारों से आता है, जो उपभोग प्रवृत्तियों को भी प्रभावित करते हैं। चूंकि उपभोग पहले से ही भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा है, इसलिए बढ़ती समृद्धि, शहरीकरण और डिजिटल पहुंच आने वाले समय में आर्थिक विकास के मुख्य चालक बनेंगे। यह परिवर्तन भारत को “आवश्यकता-प्रेरित” से “आकांक्षा-प्रेरित” मांग की ओर ले जाएगा, जिससे देश की अगली आर्थिक छलांग को मजबूती मिलेगी।
यह बदलाव न केवल उपभोक्ताओं के व्यवहार को नई दिशा देगा, बल्कि व्यवसायों, बाजारों और सरकार की नीतियों के लिए भी एक नई सोच की मांग करेगा।

Originally written on October 28, 2025 and last modified on October 28, 2025.

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