2030 तक जीवाश्म ईंधन उत्पादन पर योजनाएं: जलवायु लक्ष्यों से बढ़ती दूरी

2030 तक जीवाश्म ईंधन उत्पादन पर योजनाएं: जलवायु लक्ष्यों से बढ़ती दूरी

2025 के “प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट” के अनुसार, विश्व सरकारें 2030 तक जितना जीवाश्म ईंधन उत्पादन करने की योजना बना रही हैं, वह वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने के लक्ष्य से 120% अधिक है। यहां तक कि यदि 2°C लक्ष्य को भी देखें, तो यह उत्पादन 77% अधिक है। यह पिछले वर्षों की तुलना में और भी बड़ा अंतर दर्शाता है — 2023 की रिपोर्ट में यह अंतर क्रमशः 110% और 69% था। यह संकेत है कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से लड़ने की दिशा में प्रयास और भी पीछे जा रहे हैं।

जीवाश्म ईंधन उत्पादन और जलवायु लक्ष्य में टकराव

पेरिस समझौते के तहत, इस सदी के उत्तरार्द्ध में शुद्ध शून्य (Net Zero) ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन प्राप्त करना आवश्यक है। लेकिन जीवाश्म ईंधन के उत्पादन और उपयोग को सीमित किए बिना यह लक्ष्य असंभव है। इस रिपोर्ट के अनुसार, सरकारों की योजनाएं इन जलवायु प्रतिबद्धताओं के विपरीत चल रही हैं। जीवाश्म ईंधन के वर्तमान और प्रस्तावित उत्पादन स्तर इस ओर इशारा करते हैं कि भविष्य में आवश्यक कटौती और भी तीव्र और कठिन होगी।

प्रमुख देशों की स्थिति

रिपोर्ट में 20 प्रमुख जीवाश्म ईंधन उत्पादक देशों की प्रोफाइल प्रस्तुत की गई है, जिनमें शामिल हैं: ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, भारत, रूस, सऊदी अरब, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, नॉर्वे, और अन्य। इनमें से केवल छह देश ही अपनी उत्पादन रणनीतियों को राष्ट्रीय और वैश्विक नेट ज़ीरो लक्ष्यों के अनुरूप ढालने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
भारत और चीन जैसे विकासशील देश आर्थिक विकास और ऊर्जा ज़रूरतों के बीच संतुलन साधने की चुनौती से जूझ रहे हैं, जबकि अमेरिका, सऊदी अरब और रूस जैसे देश आर्थिक लाभ के चलते जीवाश्म ईंधन उत्पादन बढ़ा रहे हैं।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • 2030 तक नियोजित जीवाश्म ईंधन उत्पादन, 1.5°C तापमान सीमा के अनुरूप स्तर से 120% अधिक है।
  • 2°C सीमा के अनुरूप स्तर से यह 77% अधिक है।
  • 2023 की तुलना में यह अंतर और अधिक बढ़ गया है।
  • केवल कुछ ही देश वास्तव में नेट ज़ीरो लक्ष्य के अनुरूप योजनाएं बना रहे हैं।
  • जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए नीतिगत परिवर्तन की आवश्यकता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), SEI और अन्य साझेदार संगठनों द्वारा जारी की जाती है।
  • पेरिस समझौता (2015) का उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5°C के भीतर सीमित करना है।
  • जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस) वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का प्रमुख स्रोत हैं।
  • नेट ज़ीरो का अर्थ है जितनी मात्रा में उत्सर्जन हो, उतनी ही मात्रा में उसे हटाया भी जाए — शुद्ध संतुलन।
Originally written on September 24, 2025 and last modified on September 24, 2025.

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