2030 तक कोयला ऊर्जा में गिरावट: एशिया में जलवायु परिवर्तन की नई दिशा
 
चीन, भारत और इंडोनेशिया — ये तीनों देश विश्व के सबसे बड़े कोयला उपभोक्ताओं में शामिल हैं, लेकिन अब ये 2030 तक कोयला ऊर्जा और उत्सर्जन के शिखर पर पहुंचने की ओर अग्रसर हैं। ऊर्जा और स्वच्छ वायु पर अनुसंधान केंद्र (CREA) की नई रिपोर्ट के अनुसार, इन देशों में स्वच्छ ऊर्जा का तीव्र विस्तार इस ऐतिहासिक परिवर्तन को गति दे रहा है, जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हो सकता है।
चीन: सौर और पवन ऊर्जा में अभूतपूर्व उछाल
चीन में पहले से ही कार्बन उत्सर्जन में गिरावट देखी जा रही है, जो सौर और पवन ऊर्जा की तेजी से बढ़ती स्थापना का परिणाम है। 2024 में चीन ने 277 GW सौर ऊर्जा जोड़ी और 2025 की पहली छमाही में 212 GW और जोड़ी। पवन ऊर्जा में भी चीन ने 2024 में 80 GW और 2025 में 100 GW से अधिक की स्थापना की है। यदि यह रफ्तार बनी रही, तो चीन का कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन जल्द ही अपने चरम पर पहुंच सकता है।
भारत: नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर
भारत 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य लेकर चल रहा है, जिसमें से आधा लक्ष्य पहले ही प्राप्त हो चुका है। यह उपलब्धि रिकॉर्ड स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा संयोजन और घरेलू सौर निर्माण की 118 GW वार्षिक क्षमता के कारण संभव हो पाई है। CREA का मानना है कि यदि भारत अपनी ग्रिड क्षमता, भंडारण और पारेषण व्यवस्था को और मजबूत करता है, तो वह 2030 से पहले ही कोयला ऊर्जा में गिरावट शुरू कर सकता है।
इंडोनेशिया: लक्ष्य बड़े लेकिन क्रियान्वयन पर संशय
इंडोनेशिया ने 2030 तक 100 GW सौर ऊर्जा स्थापना का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जो देश को कोयले पर निर्भरता से बाहर निकाल सकता है। हालांकि, वर्तमान नीतियाँ अभी भी कोयला और गैस परियोजनाओं को प्राथमिकता देती हैं। CREA ने चेतावनी दी है कि यदि ये स्वच्छ ऊर्जा योजनाएँ वास्तविक नीतियों में नहीं बदली गईं, तो परिवर्तन में देरी हो सकती है। फिर भी, 2022 के बाद से नवीकरणीय ऊर्जा और बैटरियों की कीमतों में क्रमशः 60% और 50% की गिरावट ने इस परिवर्तन को आर्थिक रूप से अधिक व्यवहार्य बना दिया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2024 में वैश्विक कोयला खपत का 73% चीन, भारत और इंडोनेशिया ने किया।
- चीन ने 2024 से मध्य 2025 तक कुल 489 GW सौर ऊर्जा क्षमता जोड़ी।
- भारत की सौर निर्माण क्षमता 118 GW प्रति वर्ष है।
- इंडोनेशिया ने 2030 तक 100 GW सौर ऊर्जा लक्ष्य निर्धारित किया है।
यह बदलाव केवल ऊर्जा नीति का परिणाम नहीं, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजारों में एक नई दिशा की शुरुआत है। यदि ये तीनों देश अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को ठोस योजनाओं में तब्दील कर सके, तो 2030 तक कोयला उपयोग में गिरावट निश्चित मानी जा सकती है, जिससे जलवायु संकट से निपटने में एक निर्णायक बढ़त मिलेगी।
