2026 में भारत की टाइगर गिनती: दुनिया की सबसे बड़ी वन्यजीव गणना की तैयारी
भारत 2026 में आयोजित होने वाली ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन (AITE) की तैयारी में जुट गया है — यह दुनिया की सबसे विस्तृत और सटीक वन्यजीव गणना मानी जाती है। 2022 में दर्ज किए गए 3,682 बाघों के साथ भारत दुनिया के कुल वन्य बाघों की लगभग 75% आबादी का घर है। इस गणना का उद्देश्य केवल बाघों की संख्या गिनना नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र की स्थिति का मूल्यांकन करना है — जिसमें शिकार की उपलब्धता, जंगलों का स्वास्थ्य और मानव हस्तक्षेप शामिल हैं।
चरण 1: ज़मीनी निगरानी और अवलोकन
गणना का पहला चरण वन रक्षकों द्वारा मैदान में निर्धारित ट्रांसेक्ट (मार्ग) पर चलकर प्रारंभ होता है। प्रत्येक वनकर्मी तीन दिनों में लगभग 15 किलोमीटर की दूरी तय करता है, इस दौरान वह बाघों की उपस्थिति के अप्रत्यक्ष संकेत जैसे पदचिन्ह (pugmarks), पंजे के निशान, मल और शिकार के अवशेषों की तलाश करता है। साथ ही, हिरण, सांभर और अन्य शाकाहारी जानवरों को देखकर क्षेत्र में खाद्य स्रोतों की उपलब्धता का अनुमान भी लगाया जाता है। इस चरण में वनस्पति संबंधी अध्ययन भी होते हैं, जिसमें पेड़ों, झाड़ियों और घास की घनता दर्ज की जाती है। साथ ही मानव गतिविधियों जैसे पशुओं का गोबर या लकड़ी काटने के चिन्हों को भी रिकॉर्ड किया जाता है।
चरण 2: सैटेलाइट डेटा और विश्लेषण
मैदान से एकत्र आंकड़ों को वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून द्वारा उपग्रह चित्रों से जोड़कर विश्लेषण किया जाता है। इससे वन क्षेत्र, स्थलाकृति, जल स्रोतों और मानव अतिक्रमण की स्थिति का पता चलता है। रिमोट सेंसिंग तकनीक के माध्यम से महत्वपूर्ण आवास क्षेत्रों, वन्यजीव गलियारों और संकटग्रस्त क्षेत्रों की पहचान होती है। यह डिजिटल आधार तीसरे चरण — कैमरा ट्रैप — की दिशा तय करने में मदद करता है, जिससे बाघों की संभावित उपस्थिति वाले क्षेत्रों को सटीकता से चिन्हित किया जा सके।
चरण 3: कैमरा ट्रैप और धारी-पहचान तकनीक
यह चरण सबसे अधिक चर्चित और दृश्य होता है। इसमें बाघ आवास क्षेत्रों को चार वर्ग किलोमीटर की ग्रिड में बांटकर उनमें लगभग 40,000 कैमरा ट्रैप लगाए जाते हैं। प्रत्येक ग्रिड में आमतौर पर दो कैमरे लगाए जाते हैं, जिन्हें जंगल की पगडंडियों, जलस्रोतों या पहाड़ियों के पास लगाया जाता है। ये कैमरे लगभग 25 दिनों तक लगे रहते हैं और जो भी बाघ इनके सामने आता है, उसकी तस्वीर ली जाती है। बाद में इन तस्वीरों को विशेष सॉफ्टवेयर से विश्लेषित किया जाता है, जो प्रत्येक बाघ की अद्वितीय धारियों से उसकी पहचान करता है। 2022 में केवल कर्नाटक में ही इस विधि से 563 बाघों की पहचान हुई थी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन (AITE) 20 से अधिक राज्यों में 4,00,000 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में होती है।
- इसमें 60,000 से अधिक कार्मिक और 40,000 कैमरा ट्रैप शामिल होते हैं।
- 2022 की गणना में कर्नाटक में 563 बाघ दर्ज किए गए थे।
- दो वर्ष से कम उम्र के शावकों को आधिकारिक बाघ जनसंख्या में नहीं गिना जाता।
2026 की गणना का महत्व
2026 की बाघ गणना केवल संख्या का आँकलन नहीं, बल्कि संरक्षण नीतियों की दिशा तय करने वाला प्रयास है। यह यह बताती है कि किन क्षेत्रों में संरक्षण सफल हो रहा है, किन स्थानों पर मानव-बाघ संघर्ष बढ़ रहा है, और कहाँ नए गलियारों या संरक्षित क्षेत्रों की आवश्यकता है। कर्नाटक के पांच बाघ अभयारण्य — बांदीपुर, नागरहोल, भद्र, काली और बीआरटी — इस प्रयास के केंद्र में हैं, लेकिन अब ध्यान तेजी से वन किनारों और बागान क्षेत्रों की ओर बढ़ रहा है, जहाँ मानव और बाघों का संपर्क बढ़ रहा है।