2025 में अंटार्कटिक ओज़ोन छिद्र में सुधार: तीन दशकों में पांचवां सबसे छोटा आकार

2025 में अंटार्कटिक ओज़ोन छिद्र में सुधार: तीन दशकों में पांचवां सबसे छोटा आकार

वर्ष 2025 में अंटार्कटिक क्षेत्र के ऊपर स्थित ओज़ोन परत का छिद्र उल्लेखनीय रूप से छोटा पाया गया है। यह 1992 के बाद से पाँचवां सबसे छोटा ओज़ोन छिद्र रहा और औसत से कई सप्ताह पहले ही टूटकर समाप्त हो गया। नासा (NASA) और नोआ (NOAA) के वैज्ञानिकों ने इसे मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की दीर्घकालिक सफलता का परिणाम बताया है, जिसके तहत वायुमंडल में ओज़ोन-क्षयकारी रसायनों की मात्रा निरंतर घट रही है।

स्थिर पुनर्स्थापन के संकेत

सितंबर की शुरुआत से मध्य अक्टूबर तक ओज़ोन छिद्र का औसत क्षेत्रफल लगभग 1.871 करोड़ वर्ग किलोमीटर रहा, जो पिछले दशकों की तुलना में काफी छोटा है। इसका सबसे बड़ा एक-दिवसीय विस्तार 9 सितंबर 2025 को दर्ज किया गया, जो 2.286 करोड़ वर्ग किलोमीटर था यह 2006 के रिकॉर्ड अधिकतम आकार से लगभग 30 प्रतिशत छोटा है। 1979 से उपग्रह अवलोकनों के अनुसार, यह ओज़ोन छिद्र पिछले 40 वर्षों में सबसे छोटे आकारों में से एक रहा।

वैश्विक पर्यावरणीय कार्रवाई की भूमिका

वैज्ञानिकों का कहना है कि ओज़ोन को नुकसान पहुँचाने वाले रसायनों की सांद्रता वर्ष 2000 के बाद से लगभग एक-तिहाई तक घट चुकी है। यह सुधार 1987 के मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का प्रत्यक्ष परिणाम है, जिसने क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) और ब्रोमीन यौगिकों जैसे रसायनों के उपयोग को धीरे-धीरे समाप्त किया। वैज्ञानिक आकलन बताते हैं कि यदि यह अंतरराष्ट्रीय समझौता नहीं होता, तो 2025 का ओज़ोन छिद्र कहीं अधिक विशाल होता।

मौसमीय प्रभाव और ध्रुवीय भंवर की भूमिका

मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि इस वर्ष का सुधार केवल रासायनिक कारणों से नहीं, बल्कि कमज़ोर पोलर वॉर्टेक्स (polar vortex) और स्ट्रेटोस्फीयर में अपेक्षाकृत अधिक तापमान के कारण भी हुआ। अगस्त में तापमान अधिक रहने से ओज़ोन का ह्रास सीमित रहा और छिद्र सामान्य से पहले टूट गया। दक्षिणी ध्रुव पर मौसम गुब्बारों से प्राप्त आंकड़ों में अक्टूबर की शुरुआत में 147 डॉब्सन यूनिट्स का न्यूनतम स्तर दर्ज किया गया, जो 2006 के ऐतिहासिक न्यूनतम 92 डॉब्सन यूनिट्स की तुलना में काफी अधिक है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • वर्ष 2025 में ओज़ोन छिद्र का अधिकतम एक-दिवसीय आकार 2.286 करोड़ वर्ग किमी दर्ज हुआ।
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) ने ओज़ोन-क्षयकारी रसायनों को चरणबद्ध रूप से समाप्त किया।
  • ओज़ोन परत पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी विकिरण (UV rays) से बचाती है।
  • अंटार्कटिक ओज़ोन परत के 1980 के स्तर तक लौटने की संभावना 2060 के दशक के अंत तक है।

भविष्य की दिशा और सतत निगरानी

यद्यपि यह सुधार उत्साहजनक है, वैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थ अब भी पुराने औद्योगिक उपकरणों और सामग्रियों में मौजूद हैं, जिनके पूर्णतः नष्ट होने में कई दशक लगेंगे। इसलिए उपग्रहों और मौसम गुब्बारों के माध्यम से निरंतर निगरानी आवश्यक है। वर्तमान प्रवृत्तियाँ इंगित करती हैं कि यदि वैश्विक सहयोग जारी रहा, तो इस सदी के उत्तरार्ध तक पृथ्वी की ओज़ोन परत पूरी तरह से पुनःस्थापित हो सकती है यह मानवता की सबसे सफल पर्यावरणीय उपलब्धियों में से एक होगी।

Originally written on November 25, 2025 and last modified on November 25, 2025.

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