2024 में भारत में जलवायु आपदाओं से 2,000 से अधिक मौतें: डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट में खुलासा

2024 में भारत और पूरे एशिया के लिए जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव स्पष्ट रूप से सामने आए। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की “State of the Climate in Asia 2024” रिपोर्ट के अनुसार, भारत में चरम मौसम घटनाओं ने 2,000 से अधिक लोगों की जान ले ली, जिनमें 450 से अधिक लोग गर्मी की लहर के कारण मारे गए।

गर्मी की भयावहता

पिछले वर्ष गर्मियों में उत्तरी भारत के कई हिस्सों में तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया। 2024 एशिया का सबसे गर्म या दूसरा सबसे गर्म वर्ष रहा, जहाँ औसत तापमान 1991–2020 की तुलना में 1.04°C अधिक था। रिपोर्ट में कहा गया कि 1991–2024 की गर्मी की प्रवृत्ति, 1961–1990 की तुलना में दोगुनी है।

मानसून और भारी वर्षा

हालांकि 2024 में मानसून सामान्य (108% सामान्य वर्षा) रहा, लेकिन केरल के वायनाड जिले में भारी वर्षा के चलते भूस्खलन की घटनाएँ हुईं, जिसमें 350 से अधिक लोगों की जान गई

बिजली गिरने से मौतें

बिजली गिरने से करीब 1,300 लोगों की मौत हुई। अकेले 10 जुलाई 2024 को खराब मौसम और बिजली गिरने से 72 लोगों की जान गई, जिनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और झारखंड के लोग शामिल थे।

समुद्री तापमान और समुद्री तूफान

  • एशियाई महासागरीय क्षेत्र का 2024 में समुद्र सतह तापमान (SST) अब तक का सबसे अधिक रिकॉर्ड किया गया।
  • SST में औसतन 0.24°C प्रति दशक की वृद्धि हो रही है, जो वैश्विक औसत 0.13°C से लगभग दोगुनी है।
  • यह गर्म समुद्र सतह तापमान जलवायु प्रणाली को प्रभावित करता है, जैसे कि अत्यधिक वर्षा, मानसून की तीव्रता और चक्रवातों की आवृत्ति।

2024 के उष्णकटिबंधीय चक्रवात

  • वर्ष 2024 में उत्तर हिंद महासागर में चार उष्णकटिबंधीय चक्रवात बने:

    • बंगाल की खाड़ी में: रेमल, डाना, फेंगल
    • अरब सागर में: आसना (1891 के बाद केवल तीसरी बार अरब सागर में अगस्त में चक्रवात बना)
  • रेमल चक्रवात ने 26 मई को बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में दस्तक दी, जिससे 2.5 मीटर तक बाढ़ आई।
  • चक्रवात आसना से ओमान में 3 से 5 मीटर ऊँची लहरें उठीं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • WMO की रिपोर्ट में 2024 को अब तक का सबसे गर्म वर्ष बताया गया।
  • 2024 में एशिया के समुद्री क्षेत्र का SST 1982–2024 में सबसे अधिक था।
  • बिजली गिरने से भारत में हर साल औसतन 2,000 मौतें होती हैं; 2024 में यह संख्या 1,300 रही।
  • चक्रवात आसना का अगस्त में अरब सागर में बनना इतिहास में केवल तीसरी बार हुआ।

निष्कर्ष

2024 की घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि जलवायु परिवर्तन अब केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह मानव जीवन, आजीविका और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बन चुका है। भारत को अब आपदा प्रबंधन, जलवायु अनुकूलन, और ग्रीन टेक्नोलॉजी में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि ऐसे खतरों से भविष्य में बचा जा सके।

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