20 साल बाद फिर फटा बराटांग का मड वॉल्केनो: अंडमान में गूंजा धरती के भीतर का धमाका

भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित बराटांग द्वीप (Baratang Island) का एकमात्र मड वॉल्केनो (Mud Volcano) 20 वर्षों की शांति के बाद एक बार फिर सक्रिय हो गया है। यह दुर्लभ भूवैज्ञानिक घटना 2 अक्टूबर 2025 को हुई, जब दोपहर लगभग 1.30 बजे जोरदार धमाके जैसी आवाज़ के साथ मिट्टी और गैस का उफान उठा। यह वही जगह है जहाँ पिछली बार इतना बड़ा विस्फोट 2005 में दर्ज किया गया था।
बराटांग: भारत का अनोखा भू-आकृतिक चमत्कार
बराटांग द्वीप अंडमान के नॉर्थ एंड मिडल अंडमान ज़िले में स्थित है और पोर्ट ब्लेयर से करीब 150 किलोमीटर दूर है। यह स्थान न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है, क्योंकि यही भारत का एकमात्र सक्रिय मड वॉल्केनो है।
अधिकारियों के अनुसार, विस्फोट के बाद लगभग 3 से 4 मीटर ऊँचा मिट्टी का टीला बन गया है, और कीचड़ लगभग 1,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैल गया है। फिलहाल ज्वालामुखी से कीचड़ और धुआँ निकलना जारी है। सुरक्षा कारणों से पर्यटकों की आवाजाही रोक दी गई है, और वन विभाग ने सभी मार्ग बंद कर दिए हैं।
मड वॉल्केनो: लावा नहीं, मिट्टी और गैस का ज्वालामुखी
मड वॉल्केनो या ‘मड डोम (Mud Dome)’ पृथ्वी की सतह के नीचे जैविक पदार्थों के विघटन से उत्पन्न गैसों — मुख्यतः मीथेन (Methane), कार्बन डाइऑक्साइड, और नाइट्रोजन — के दबाव से बनता है। जब ये गैसें बाहर निकलती हैं, तो अपने साथ पानी और मिट्टी का मिश्रण सतह पर फेंकती हैं, जिससे कीचड़ के शंकु और गड्ढे बन जाते हैं।
इन ज्वालामुखियों में पारंपरिक आग्नेय ज्वालामुखियों की तरह लावा नहीं निकलता, बल्कि ठंडी मिट्टी और गैस निकलती है। इनकी ऊँचाई 1 मीटर से 700 मीटर तक और चौड़ाई 2 मीटर से 10 किलोमीटर तक हो सकती है। इनसे निकलने वाला गर्म कीचड़ कभी-कभी गरम जल स्रोतों (Hot Springs) के निर्माण में सहायक बनता है।
2005 के बाद फिर जागा धरती का सोया स्रोत
बराटांग का यह ज्वालामुखी 2005 में समुद्री भूकंपीय हलचलों (Oceanic Seismic Shifts) के कारण फटा था। उसके बाद से यह दो दशकों तक शांत रहा, लेकिन इस बार इसका पुनः सक्रिय होना भूगर्भीय दबाव और गैस संचयन का संकेत माना जा रहा है। अधिकारी बताते हैं कि “विस्फोट के समय गूंजती हुई आवाज़ कई किलोमीटर तक सुनी गई।”
बरन द्वीप का सक्रिय ज्वालामुखी: अलग भूगोल, अलग प्रकृति
बराटांग का मड वॉल्केनो और बरन द्वीप (Barren Island) का ज्वालामुखी दो अलग-अलग स्थानों पर हैं। बरन द्वीप भारत का एकमात्र सक्रिय लावा ज्वालामुखी है, जो पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किलोमीटर दूर समुद्र में स्थित है। यहाँ 13 और 20 सितंबर 2025 को दो बार हल्की ज्वालामुखीय गतिविधियाँ देखी गई थीं।
बरन द्वीप भारतीय और बर्मी टेक्टोनिक प्लेटों के संगम पर स्थित है और इसका क्षेत्रफल 8.34 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ पहली बार विस्फोट 1787 में दर्ज किया गया था, जिसके बाद 1991, 2005, 2017, 2022 और अब 2025 में भी ज्वालामुखीय गतिविधियाँ देखी गई हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- बराटांग मड वॉल्केनो भारत का एकमात्र सक्रिय मड वॉल्केनो है।
- यह नॉर्थ एंड मिडल अंडमान ज़िले में स्थित है, पोर्ट ब्लेयर से 150 किमी दूर।
- 2005 के बाद पहली बार यह 2025 में इतने बड़े रूप में फटा है।
- मड वॉल्केनो में लावा नहीं निकलता, बल्कि गैस, मिट्टी और पानी का मिश्रण सतह पर आता है।
- बरन द्वीप भारत का एकमात्र सक्रिय लावा वॉल्केनो है।