होरमुज़ जलडमरूमध्य: वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति का नाज़ुक द्वार
होरमुज़ जलडमरूमध्य विश्व की ऊर्जा आपूर्ति प्रणाली में एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है, जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ता है। हाल ही में ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने इस जलमार्ग की सुरक्षा को लेकर वैश्विक चिंताएँ बढ़ा दी हैं। यदि ईरान इस जलडमरूमध्य को अवरुद्ध करता है, तो इसका सीधा प्रभाव वैश्विक तेल और गैस बाजारों पर पड़ सकता है, विशेषकर उन देशों पर जो इस क्षेत्र से ऊर्जा आपूर्ति पर निर्भर हैं।
भौगोलिक और सामरिक महत्व
होरमुज़ जलडमरूमध्य अपनी संकीर्णतम चौड़ाई पर केवल 33 किलोमीटर चौड़ा है, जो इसे दुनिया के सबसे व्यस्त और रणनीतिक समुद्री मार्गों में शामिल करता है। प्रतिदिन लगभग 2 करोड़ बैरल तेल इस मार्ग से गुजरता है, जो विश्व के समुद्री तेल व्यापार का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है। यह जलडमरूमध्य ईरान और ओमान की सीमाओं के बीच स्थित है, जिससे इसका नियंत्रण सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।
आर्थिक प्रभाव और संभावित अवरोध
यदि होरमुज़ जलडमरूमध्य को अवरुद्ध किया गया, तो इसका सीधा असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। तेल की कीमतों में तेज़ उछाल आएगा, क्योंकि कई देश अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए इस मार्ग पर निर्भर हैं। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) के अनुसार, विश्व के लगभग 83 प्रतिशत तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का व्यापार भी इसी मार्ग से होता है। किसी भी तरह की बाधा से न केवल शिपिंग लागत बढ़ेगी, बल्कि वैश्विक वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता भी बढ़ेगी।
ईरान की रणनीतिक गणनाएँ
इतिहास गवाह है कि ईरान ने कभी भी इस जलडमरूमध्य को पूरी तरह अवरुद्ध नहीं किया। ईरान-इराक युद्ध के दौरान दोनों देशों ने जहाजों पर हमले किए, लेकिन यातायात को रोका नहीं गया। इसका कारण यह है कि ईरान स्वयं अपने तेल निर्यात के लिए इसी मार्ग पर निर्भर है, विशेषकर चीन जैसे खरीदारों के लिए। यदि ईरान इस मार्ग को अवरुद्ध करता है, तो उसकी आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और उसके क्षेत्रीय सहयोगी भी असंतुष्ट हो सकते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- चौड़ाई: लगभग 33 किलोमीटर
- प्रतिदिन तेल प्रवाह: लगभग 2 करोड़ बैरल
- LNG व्यापार का हिस्सा: लगभग 83%
- सीमाएँ: ईरान और ओमान
- अमेरिकी सैन्य उपस्थिति: 5वां बेड़ा, बहरीन में तैनात
भारत पर संभावित प्रभाव
भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा होरमुज़ जलडमरूमध्य के माध्यम से प्राप्त करता है। वर्ष 2024 में भारत के लगभग 84 प्रतिशत कच्चे तेल का आयात इसी मार्ग से हुआ। किसी भी अवरोध या तनाव की स्थिति में भारत की ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित होगी और पेट्रोलियम कीमतों में अस्थिरता आ सकती है। यद्यपि भारत ने अफ्रीका और अमेरिका जैसे अन्य स्रोतों से तेल आयात बढ़ाया है, फिर भी वैश्विक कीमतों में उथल-पुथल का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
वैकल्पिक मार्ग और सीमाएँ
सऊदी अरब ने लाल सागर तक तेल पाइपलाइन और संयुक्त अरब अमीरात ने ओमान की खाड़ी तक पाइपलाइन बनाई है, लेकिन ये मार्ग होरमुज़ जलडमरूमध्य से गुजरने वाले विशाल तेल प्रवाह की पूरी भरपाई नहीं कर सकते। इस कारण किसी भी प्रकार की बाधा से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।