होरमुज़ जलडमरूमध्य: ईरान-इज़राइल तनाव के बीच वैश्विक तेल आपूर्ति पर मंडराता खतरा

ईरान और इज़राइल के बीच गहराते तनाव ने एक बार फिर वैश्विक ध्यान खींचा है — इस बार केंद्र में है होरमुज़ जलडमरूमध्य, जो दुनिया की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है। रिपोर्टों के अनुसार, ईरान इस जलडमरूमध्य को बंद करने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है, जिससे वैश्विक बाजारों में चिंता की लहर दौड़ गई है।
क्यों महत्वपूर्ण है होरमुज़ जलडमरूमध्य?
33 किलोमीटर चौड़ा यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। यह दुनिया का सबसे व्यस्त तेल परिवहन मार्ग है — वैश्विक तेल आपूर्ति का लगभग 20% यहीं से गुजरता है। भारत जैसे देश, जो अपनी 90% कच्चे तेल की ज़रूरत का आयात करते हैं और जिनका 46% आयात खाड़ी देशों से होता है, के लिए यह मार्ग अत्यंत आवश्यक है।
यह जलडमरूमध्य ईरान, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात की सीमा में आता है, और इसके आसपास कुवैत, क़तर, सऊदी अरब, बहरीन और इराक जैसे तेल उत्पादक देश स्थित हैं।
बंदी की स्थिति में क्या होगा असर?
यदि ईरान जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो वैश्विक तेल कीमतें $100 से $150 प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। वर्तमान में ब्रेंट क्रूड की कीमत $76.45 है, जो एक सप्ताह में $5 तक बढ़ चुकी है। इसके अलावा, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) के वैश्विक निर्यात का भी 20% हिस्सा इसी मार्ग से होकर जाता है, जिस पर संकट आ सकता है।
ईरान क्या वास्तव में इसे बंद कर सकता है?
ईरान ने पहले भी कई बार इस मार्ग को बंद करने की धमकी दी है। उसके पास नेवल माइंस, छोटे युद्धपोत, और पनडुब्बियाँ हैं जो जल्दी और गुप्त रूप से माइंस बिछा सकती हैं। इन माइंस को हटाना बेहद जोखिमपूर्ण और समय-साध्य होता है। इसके अलावा, ईरान ने उन देशों के व्यापारिक जहाज़ों पर हमला करने की भी चेतावनी दी है जो इज़राइल का समर्थन कर रहे हैं।
हालाँकि, अगर ईरान ने इसे बंद किया, तो अमेरिका और उसके खाड़ी सहयोगियों की सैन्य प्रतिक्रिया संभावित होगी। साथ ही, चीन जैसे ईरान समर्थक देश भी इस निर्णय से प्रभावित होंगे क्योंकि उनका तेल आयात भी इसी मार्ग पर निर्भर करता है।
विकल्प क्या हैं?
सऊदी अरब और UAE ने कुछ वैकल्पिक पाइपलाइनों का निर्माण किया है:
- सऊदी का ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन: यह रेड सी के यानबू बंदरगाह तक 1,200 किलोमीटर लंबा है और इसकी क्षमता 5 मिलियन बैरल प्रतिदिन है, हालांकि इसका एक छोटा हिस्सा ही उपयोग हो रहा है।
- अबू धाबी क्रूड ऑयल पाइपलाइन: 400 किमी लंबी यह पाइपलाइन फुजैरा बंदरगाह तक जाती है और इसकी क्षमता 1.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन है।
हालाँकि, ये पाइपलाइनों जलडमरूमध्य की 20 मिलियन बैरल/दिन की क्षमता के मुकाबले बेहद सीमित हैं और इनसे एशिया को तेल पहुँचाने में समय और लागत अधिक लगती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- होरमुज़ जलडमरूमध्य से हर दिन 20 मिलियन बैरल तेल गुजरता है।
- भारत अपनी तेल ज़रूरतों का 90% आयात करता है, जिसमें से लगभग आधा खाड़ी देशों से आता है।
- अमेरिका की फिफ्थ फ्लीट और CTF-150 जैसी सैन्य इकाइयाँ जलडमरूमध्य की निगरानी करती हैं।
- वैकल्पिक पाइपलाइनों की कुल क्षमता जलडमरूमध्य की क्षमता से काफी कम है।
निष्कर्ष
ईरान और इज़राइल के बीच का सैन्य संघर्ष केवल क्षेत्रीय मामला नहीं रहा, यह अब वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। होरमुज़ जलडमरूमध्य की स्थिति जितनी रणनीतिक है, उतनी ही संवेदनशील भी है। यदि यह मार्ग बाधित हुआ, तो केवल मध्य पूर्व ही नहीं, बल्कि भारत समेत एशिया और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर पड़ेगा। इसलिए, कूटनीतिक समाधान की दिशा में ठोस और त्वरित प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं।