हिमाचल प्रदेश बना ‘पूर्ण साक्षर’ राज्य: जानिए क्या है इस उपलब्धि का अर्थ और प्रक्रिया

हाल ही में हिमाचल प्रदेश को ‘पूर्ण साक्षर’ राज्य घोषित किया गया है, और इसके साथ ही वह गोवा, लद्दाख, मिज़ोरम और त्रिपुरा के बाद ऐसा दर्जा पाने वाला भारत का पाँचवाँ राज्य/केंद्रशासित प्रदेश बन गया है। हालांकि, इनमें से कोई भी राज्य शत-प्रतिशत साक्षर नहीं है। हिमाचल ने 99.3% साक्षरता दर हासिल की है, जबकि गोवा 99.72%, मिज़ोरम 98.2%, त्रिपुरा 95.6% और लद्दाख 97% पर हैं।
तो आखिर ‘पूर्ण साक्षरता’ का क्या अर्थ है? इसे कैसे मापा जाता है? और क्या इसका मतलब शत-प्रतिशत साक्षरता है?

‘पूर्ण साक्षरता’ की परिभाषा और मापदंड

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, साक्षरता का मतलब है — पढ़ना, लिखना और समझदारी के साथ गणना करने की क्षमता। इसके अंतर्गत डिजिटल और वित्तीय साक्षरता जैसे जीवनोपयोगी कौशल भी शामिल हैं।
‘पूर्ण साक्षरता’ का अर्थ है — जब कोई राज्य या केंद्रशासित प्रदेश 95% साक्षरता दर हासिल कर लेता है। यह मानक 2023 में ULLAS (Understanding Lifelong Learning for All in Society) कार्यक्रम के तहत तय किया गया।
ULLAS कार्यक्रम 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के उन लोगों को साक्षर बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जिन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा नहीं पाई।

ULLAS कार्यक्रम: प्रक्रिया और उद्देश्य

ULLAS (2022 में शुरू) का लक्ष्य 2030 तक शत-प्रतिशत साक्षरता हासिल करना है, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) में से एक है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप भी है, जो वयस्क शिक्षा को प्राथमिकता देती है।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:

  • वयस्कों को कक्षा 3 तक के स्तर की बुनियादी शिक्षा दी जाती है।
  • इसमें जोड़, घटाव, गुणा, भाग, घड़ी पढ़ना, कैलेंडर समझना, करेंसी पहचानना, चेक लिखना, और डिजिटल लेन-देन करना सिखाया जाता है।
  • पढ़ाई मोबाइल ऐप या ऑफलाइन माध्यम से होती है, जिसमें छात्र या स्वयंसेवी मदद करते हैं।
  • अंत में FLNAT (Functional Literacy and Numeracy Assessment Test) नामक 150 अंकों की परीक्षा ली जाती है। इसमें पास होने पर राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) से प्रमाण पत्र दिया जाता है।

कैसे बनता है कोई राज्य ‘पूर्ण साक्षर’?

  • राज्यों द्वारा पहले घर-घर सर्वेक्षण या आंकड़ों के माध्यम से अशिक्षित वयस्कों की पहचान की जाती है।
  • उन्हें ULLAS कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षित कर FLNAT में शामिल किया जाता है।
  • यदि पहले से पहचाने गए अशिक्षित व्यक्तियों की संख्या में अधिकांश परीक्षा में सफल हो जाते हैं, और राज्य की कुल साक्षरता दर 95% से ऊपर पहुंच जाती है, तो उसे ‘पूर्ण साक्षर’ घोषित किया जाता है।

यह प्रक्रिया उन राज्यों में तेज़ी से पूरी होती है जहाँ पहले से साक्षरता दर अधिक है और जनसंख्या अपेक्षाकृत कम है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ULLAS कार्यक्रम 2022 में शुरू हुआ था और इसका लक्ष्य 2030 तक 100% साक्षरता है।
  • FLNAT परीक्षा पास करने पर NIOS से प्रमाण पत्र मिलता है।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर 74% थी (महिलाएं: 64.6%, पुरुष: 80.9%)।
  • PLFS 2023-24 के अनुसार, भारत की साक्षरता दर 77.5% है।
  • PLFS रिपोर्ट में 15+ आयु वर्ग में अशिक्षा दर सबसे कम मिज़ोरम (2.2%) में और सबसे अधिक बिहार (33.1%) में दर्ज की गई।

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